कथावाचक का जीवन चुनौतीपूर्ण-कीर्ति किशोरी
आगरा, 06 अप्रैल। मानव देह पाना अति दुर्लभ है, इसलिए इस जन्म को हमें सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए। अति किसी भी चीज की बुरी बताई जाती है, लेकिन याद रखें प्रभु भक्ति में अति बुरी नहीं होती। मनुष्य विलासितापूर्ण जीवन से मुक्त होकर भक्तिपूर्ण जीवन जीने का मार्ग अपनाए। काम, क्रोध, लोभ और मोह जैसे विकारों से बचना चाहिए। यह विचार प्रसिद्ध भागवत विदुषी कीर्ति किशोरी ने व्यक्त किए। वह रविवार की शाम अनुभव निधि आश्रम में वनवासी कथाकार भाई-बहिनों के दीक्षांत समारोह में आशीर्वचन दे रही थीं। उन्होंने कहा कि कथावाचक का जीवन चुनौतीपूर्ण है, दुधारी तलवार पर चलने के समान है, लेकिन चलते जाना है।
हरि सत्संग समिति आगरा और श्री हरि सत्संग महिला समिति द्वारा विभिन्न प्रांतों के वनवासी भाई-बहनों का श्री कृष्ण कथा का प्रशिक्षण संपन्न होने के पश्चात इस दीक्षांत समारोह का उजरई कलां स्थित अनुभव निधि आश्रम में आयोजन किया गया था।
कार्यक्रम में महामंडलेशर श्री कृष्णा माताजी ने आशीर्वचन में कहा कि इस कथाकार प्रशिक्षण के द्वारा वनवासी भाई-बहनों में आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का श्री हरि सत्संग समिति का प्रयास सराहनीय है।
कार्यकारी अध्यक्ष भगवान दास बंसल और कथाकार भाई-बहनों ने अनुभव साझा किए। महिला समिति की अध्यक्षा अंशु अग्रवाल भी मंचासीन थीं। डॉ. रंजना बंसल बतौर विशिष्ट अतिथि थीं। अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
संचालन महिला समिति की महामंत्री रुचि अग्रवाल ने किया। वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रमेश मित्तल, संयोजक संजय गोयल, मंत्री संजय मित्तल आदि के अलावा महिला समिति की रश्मि सिंघल, मीनू त्यागी, सीमा अग्रवाल, निशा मंगल, मधु गोयल, राहुल बंसल आदि भी मौजूद थे।
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