बच्चों को संस्कृति, प्रकृति और संस्कार से जोड़ती हैं कहानियां
आगरा, 19 अप्रैल। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच शनिवार को फीलिंग्स माइंड्स संस्था द्वारा आयोजित मेंटल हेल्थ कार्निवल में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कहानियां कहने और सुनने का प्रभाव विषय पर एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता नेहा पाटिल (बैंगलुरु), रुपाली चरण(दिल्ली) और शैलेश जिंदल ने कहानियों के प्रभाव पर व्याख्यान दिए। नेहा पाटिल ने कहा कि बच्चों को जब घर के बड़े कहानियां सुनाते हैं तो बच्चों में आत्मविश्वास विकसित होता है।
रुपाली चरण ने कहा कि कहानियां बिना टिकट के एक स्थान से दूसरे स्थान में मानसिक सफर करवा देती हैं। कल्पनाशीलता विकसित होती है। स्टोरी टेलर शैलेश जिंदल ने कहा कि दादी− नानी से किस्से कहानियां सुनने वाले बच्चे अंतर्मुखी नहीं बल्कि बाहृयमुखी बन सकते थे। आज बच्चों ने दोस्ती सोशल मीडिया से कर ली है। आपस में बात नहीं होती। मैसेज पर बात होती है। डॉ राकेश भाटिया ने कहा कि आज बच्चों के साथ बड़ों में भी अपनी बातें साझा करने की दिक्कत दिखने को मिल रही है। कहानी कहने की कला इस दिक्कत में राहत देती है।
विमल विहार, सिकंदरा स्थित कार्यालय पर आयोजित मेंटल हेल्थ कार्निवल की सातवें दिन की कार्यशाला का शुभारंभ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश भाटिया, पूजा बंसल ने किया। विषय परिवर्तन करते हुए संस्था की संस्थापक एवं अंतरर्राष्ट्रीय मनोवैज्ञानिक डॉ चीनू अग्रवाल ने कहा कि कहानियां कहने और सुनने से बौद्धिक क्षमता के साथ बच्चे संस्कृति, प्रकृति और संस्कारों से जुड़ते हैं।
डॉ रविंद्र अग्रवाल ने बताया रविवार को फीलिंग्स माइंड्स संस्था का ताज होटल एंड कन्वेंशन सेंटर पर दोपहर 3 बजे से कार्यक्रम होगा। सम्मान समारोह एवं प्रतिभागियों काे प्रमाण पत्र प्रदान किये जाएंगे।
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