"किंग मेकर" बनने की चाह में हो रही टांग खिंचाई, नेशनल चैंबर नए सत्र में कड़े करेगा नियम !!

आगरा, 06 मार्च। जैसी संभावना थी, नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स की गुरुवार को हुई कोर कमेटी की बैठक बिना किसी ठोस नतीजे के समाप्त हो गई। कोर कमेटी ने यह जरूर सर्वसम्मति से तय किया कि चैंबर संविधान में पुनः संशोधन करके कमजोर बिंदुओं को मजबूत किया जाए। फिलहाल कोषाध्यक्ष पद के दोनों प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए कह दिया गया। 
कोषाध्यक्ष पद के लिए मची रार ने यह भी दिखा दिया, कुछ लोग स्वयं को "किंग मेकर" सिद्ध करने की चाह में एक-दूसरे की टांग खिंचाई में लगे हुए हैं। इस सब में चैंबर की गरिमा में भी गिरावट आ रही है। दूसरे शहर में प्रवास पर गए एक पूर्व अध्यक्ष ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर पूरे प्रकरण पर दुःख जताया और इसे चैंबर की छवि धूमिल करना बताया। उनका कहना था कि चैंबर को उद्यमियों और व्यापारियों की शीर्ष संस्था माना जाता रहा है, लेकिन इसका हाल भी अन्य छोटी संस्थाओं जैसा होता जा रहा है। सभी वरिष्ठों को इस पर मिल-बैठ कर मंथन करना चाहिए।
कोर कमेटी के सदस्यों में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। कुछ सदस्यों ने सबसे पहले आत्ममंथन की सलाह दी। कहा गया यदि पुराने लोग स्वयं को नियंत्रित कर लें, तभी स्वच्छता की तरफ कदम बाद बढ़ सकते हैं। 
कोर कमेटी के अध्यक्ष प्रेमसागर अग्रवाल ने चुनाव समिति के अध्यक्ष प्रदीप वार्ष्णेय से भी सभी परिस्थितियों की जानकारी ली। उन्होंने जानना चाहा कि किन हालात में यह मुद्दा विवाद बना। वार्ष्णेय ने उन्हें पूरी स्थिति की जानकारी दी।
प्रेम सागर अग्रवाल ने बताया कि चुनाव समिति की बैठक में एक दिन पहले सहमति बन जाने के कारण कोर कमेटी ने इस मुद्दे को टाल दिया। अगले माह नए सत्र में इस प्रकार की कमियों को रोकने के लिए कड़े नियम बनाने के प्रयास किए जाएंगे। बैठक में करीब एक दर्जन सदस्य मौजूद रहे।
जिम्मेदारों से निष्पक्षता की उम्मीद?
बैठक में कुछ सदस्यों पर एकपक्षीय होने के भी आरोप लगे। कहा गया कि पहले विनय मित्तल को संजय अग्रवाल के खिलाफ शिकायत करने के लिए जानकारी किसने दी? फिर संजय अग्रवाल की रसीद की फोटो खींचकर किसने उपलब्ध कराई। आरोप तो यह भी है कि तीन दिन पहले विनय की फाइल में कुछ कागज नहीं थे, लेकिन कोर कमेटी की बैठक से पहले दो कागज जोड़ दिए गए। यह सब कौन कर रहा है। यदि ऐसा करने वाला व्यक्ति किसी जिम्मेदारी के पद पर है तो क्या उससे निष्पक्षता की उम्मीद की जा सकती है। 
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