चैंबर चुनाव: जनसंपर्क और रिश्तेदारी, किसकी रहेगी भारी? प्रत्याशियों ने झोंकी पूरी ताकत

आगरा, 07 मार्च। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के चुनावों में महज तीन दिन का समय रह जाने से प्रत्याशियों का प्रचार अभियान चरम पर पहुंच गया है। प्रत्याशी उद्योग और व्यापार जगत में अपनी कर्मठ छवि के आधार पर मतदाताओं को आकर्षित करने के लगे हैं। ये प्रत्याशी व्यापक जनसंपर्क के साथ ही अपनी रिश्तेदारियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों में अपनी पैठ के आधार पर जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि प्रमुख पदों पर मुकाबला कांटे का होगा और हार-जीत का अंतर बेहद कम रहेगा।
करीब तेरह सौ से अधिक मतदाताओं वाले नेशनल चैंबर में दस मार्च को अग्रवन में अध्यक्ष के साथ ही दो उपाध्यक्षों और कोषाध्यक्ष के एक पद के लिए मुख्य मुकाबला है। इसके अलावा कार्यकारिणी के कुल 14 ग्रुपों में से केवल तीन ग्रुपों में चुनाव होना है, अन्य ग्रुपों में चुनाव की स्थिति नहीं बनी।
अध्यक्ष पद के लिए संजय गोयल (एडवांस), योगेश जिंदल और अनिल अग्रवाल मैदान में हैं, जबकि उपाध्यक्ष के दो पदों के लिए संजय गोयल (आगरा स्टील), विवेक जैन, गोपाल खंडेलवाल और नीरज अग्रवाल मैदान में हैं। कोषाध्यक्ष पद पर संजय अग्रवाल और विनय मित्तल के बीच मुकाबला है।
नजदीकी हार-जीत हो सकती है अध्यक्ष पद पर
अध्यक्ष पद की बात करें तो तीनों प्रत्याशी आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आ रहे हैं। योगेश जिंदल पिछले वर्ष से ही अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की चर्चा सदस्यों के बीच करते रहे हैं, जबकि संजय गोयल भी कुछ महीनों से गंभीरता के साथ मतदाताओं को रिझाने में जुटे हुए हैं। अनिल अग्रवाल ने नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से कुछ दिन पूर्व ही अपना प्रचार शुरू किया। तीनों ही प्रत्याशियों का प्रचार जोर पकड़ चुका है। तीनों ही प्रत्याशी वैश्य समुदाय से हैं और शहर के व्यापारियों पर न केवल उनकी व्यापारिक पकड़ है, बल्कि रिश्तेदारियां भी हैं। इसके अलावा विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों में भी तीनों की पैठ है। देखना होगा कि मतदान के दिन किसका पलड़ा भारी रहता है।
कहीं पैनल का साथ, कहीं अकेले आत्मविश्वास 
संजय गोयल अपना पैनल बनाकर मैदान में हैं। उनके साथ उपाध्यक्ष पद पर संजय गोयल (आगरा स्टील), विवेक जैन और कोषाध्यक्ष पद पर विनय मित्तल हैं। योगेश जिंदल के साथ उपाध्यक्ष प्रत्याशी के रूप में नीरज अग्रवाल और कोषाध्यक्ष प्रत्याशी संजय अग्रवाल हैं। वहीं अनिल अग्रवाल अकेले ही चुनाव लड़ने में विश्वास रख रहे हैं। हालांकि उपाध्यक्ष पद पर उनके साथ गोपाल खंडेलवाल बताए जा रहे हैं। सभी प्रत्याशी अनुभवी हैं और मतदाताओं के बीच में पैठ रखने वाले हैं। 
साइलेंट मोड में हैं मतदाता, सभी को दे रहे आश्वासन
चैंबर चुनावों में इस बार सभी चर्चित चेहरे होने के कारण अधिकांश मतदाता साइलेंट मोड में चल रहे हैं। केवल बेहद नजदीकी लोग ही प्रत्याशियों के साथ खुलकर आ रहे हैं। अन्यथा आम मतदाता सभी प्रत्याशियों को आश्वासन दे रहे हैं और अपने पत्ते खोलने से बच रहे हैं। 
क्या रहेगा पूर्व अध्यक्षों का प्रभाव?
अध्यक्ष पद के एक प्रत्याशी के साथ शेष दोनों प्रत्याशियों की तुलना में अधिक संख्या में पूर्व अध्यक्षों का साथ होने का दावा किया जा रहा है। एक अन्य प्रत्याशी भी पूर्व अध्यक्षों के साथ चुनावी जोड़तोड़ में माहिर लोगों का साथ होने का दावा कर रहे हैं। जबकि तीसरे प्रत्याशी के साथ कुछ पूर्व अध्यक्ष पूरी गंभीरता से सक्रिय हैं और एक-एक मतदाता तक पहुंच बनाने में पूरा योगदान दे रहे हैं। देखना होगा कि पूर्व अध्यक्षों का झुकाव मतदाताओं पर कितना असर डालेगा।
शुरू हो सकता है अपीलों का दौर
अभी तक प्रत्याशियों द्वारा अपने स्तर पर या पैनल द्वारा चुनाव प्रचार किया जा रहा है, कुछेक संगठनों ने एक दो प्रत्याशियों के समर्थन में अपील जारी की है, लेकिन मतदाताओं पर असर डालने का दावा करने वाली अधिकांश संस्थाएं अभी शांत हैं। समझा जाता है कि चुनाव से एक-दो दिन पूर्व प्रमुख औद्योगिक, व्यापारिक और सामाजिक संस्थाओं की अपील भी प्रत्याशियों के लिए जारी हो सकती है।
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