अन्यत्र गई चंबल के पानी की धार, तो बाह की जनता करेगी हाहाकार, पूर्व मंत्री अरिदमन बोले- किसी भी हालत में बंद नहीं होने देंगे राजा महेन्द्र रिपुदमन सिंह चंबल डाल परियोजना

आगरा, 19 फरवरी। चंबल के पानी को अन्यत्र ले जाने की कोशिशों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता और प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने कहा है कि वर्ष 1979 में उनके पिता राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार में मंत्री रहते हुए चंबल डाल परियोजना स्वीकृत कराई थी। फिर विपक्ष की सरकार आई, कोई काम नहीं हुआ था‌। जब 1996 में अरिदमन सिंह चुनाव जीते और वर्ष 1997 में मंत्री बने तब उन्होंने इसकी जबरदस्त पैरोकारी की और पुनः डीपीआर बनवाकर योजना को पुनः स्वीकृत कराया। तत्कालीन सिंचाई मंत्री ओमप्रकाश ने व्यक्तिगत रुचि लेकर इसे पूर्ण करवाया। उन्होंने सर्किट हाउस में बैठकर स्वयं कई बार मीटिंग ली और उन दिनों लापरवाही करने पर एक चीफ इंजीनियर को सस्पेंड भी कर दिया गया था। सिंचाई मंत्री के प्रयास से 18 महीने में ही राजा महेन्द्र रिपुदमन सिंह चंबल डाल परियोजना शुरू हो गई। फिर इसकी तर्ज पर मुरैना और धौलपुर में भी लिफ्ट इरीगेशन योजना शुरू की गई। इन सबके कारण चंबल का पानी धीरे-धीरे अपस्ट्रीम तो बढ़ गया लेकिन डाउनस्ट्रीम शनै: शनै: पानी घट रहा है। पानी घटने के कारण नेशनल चंबल सेंचुरी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चंबल के पानी में वाटर शेयरिंग के हिसाब से उत्तर प्रदेश का 10% हिस्सा है। उसमें से लिफ्ट इरीगेशन (चार पंपों के इस्तेमाल) से सात फीसदी यानी 450 क्यूसेक पानी बाह में सिंचाई व पेयजल आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। इसी कारण वहां का भूगर्भ जल अन्य ब्लॉकों से बेहतर है। अगर बाह के लिए प्रयुक्त होने वाला यह चंबल का पानी अन्यत्र लिया जाता है तो हमारी राजा महेन्द्र रिपुदमन सिंह चंबल डाल परियोजना बंदी के कगार पर आ जाएगी। किसान परेशान होंगे। जनता प्यासी रह जाएगी। तब मजबूरन हमें इसका विरोध करना पड़ेगा। सेंट्रल वॉटर कमीशन में भी यह मुद्दा पहुंचेगा तो वहां भी नदियों के जल की उचित साझेदारी के मुद्दे पर आपत्ति होगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि बेशक चंबल का पानी अन्यत्र जाए पर चंबल सेंचुरी पर संकट न आए। बाह के हिस्से का 450 क्यूसेक पानी बरकरार चाहिए। राजा अरिदमन सिंह का कहना है कि वर्षा काल में लिफ्ट इरीगेशन का संचालन संभव नहीं है क्योंकि चंबल के मटमैले पानी से इसके पंप खराब हो जाते हैं। उधर गर्मियों में चंबल का पानी इतना कम हो जाता है कि पंप सेट पानी लिफ्ट नहीं कर पाते। अप्रैल माह के पहले-दूसरे सप्ताह में ही जलस्तर 110-111 मीटर के लगभग रह जाता है। 
सेंट्रल वाटर कमीशन के निर्देशों के अनुसार 110.85 मीटर के स्तर से नीचे पानी रहने पर लिफ्ट इरीगेशन प्रणाली को संचालित नहीं किया जा सकता। कुल मिलाकर अक्टूबर के महीने से मार्च के समापन और अप्रैल की शुरुआत तक ही इसका संचालन संभव है जब तक कि इसका वाटर लेवल तय मानकों से नीचे न जाए और अगर ऐसे हाल में भी चंबल से पानी की निकासी की जाती है तो सेंचुरी संकट में आएगी। क्षेत्रीय लोग पेयजल तक के लिए तरस जाएंगे। अन्न दाता किसान सिंचाई के लिए परेशान हो जाएंगे।
दो बार के सांसद की भी ज़िम्मेदारी
राजा अरिदमन सिंह का कहना है कि राजकुमार चाहर फतेहपुर सीकरी से लगातार दो बार सांसद चुने गए हैं तो यह उनकी भी जिम्मेदारी है कि वे राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह चंबल डाल परियोजना को बंद न होने दें और सेंचुरी प्रभावित न हो। अगर चंबल के पानी की अधिक निकासी होगी तो सेंचुरी और परियोजना दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। 
तालाबों के पुनर्जीवन के लिए प्रयास जारी..
राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि वे आगरा क्षेत्र में 13वें, 14वें और 15वें वित्त आयोग एवं मनरेगा के माध्यम से बिना कब्जे वाले 2825 तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए विगत 5-6 वर्षों से लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके कुछ सुखद परिणाम भी आए हैं। पूरे जनपद में सरकार द्वारा अमृत सरोवर भी बनाए जा रहे हैं।
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