केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रियाएं जारी......

बजट में सुनी गई छोटे व्यापारी की आवाज
आगरा, 02 फरवरी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को संसद में पेश बजट पर प्रतिक्रियाएं जारी हैं। 
पश्चिम उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के मंडल अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने कहा कि वित्त मंत्री ने 12 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स में पूरी छूट देकर व्यापारियों व आम नागरिकों का मन जीत लिया है। 
प्रदेश उपाध्यक्ष निधि अग्रवाल ने कहा कि एमएसएमई की लोन की सीमा दस करोड़ की गई है इससे उद्योगों को लाभ होगा। जिलाध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने कहा कि टीवी और एलसीडी पर कस्टम ड्यूटी 5% से घटकर ढाई परसेंट कर दी है इससे टीवी में एलसीडी सस्ते होंगे। राकेश यादव, धीरज अग्रवाल, मनोज जैन, विपुल, शैलेंद्र वर्मा, शिव बहादुर सिंह, राकेश यादव, विवेक अग्रवाल, नैना बंसल मोहित अग्रवाल प्रवीण वर्मा सुनील मित्तल ने भी बजट का स्वागत किया।
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आम आदमी से लेकर उद्योगों तक के लिए उत्साहजनक कदम
आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर (एफमेक) के अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा कि लंबे समय बाद ऐसा बजट है जिसे न तो चुनावी बजट कह सकते हैं न लोक लुभावन, उसके बावजूद भी आम आदमी से लेकर अर्थशास्त्री तक, रेहड़ी वालों से लेकर लघु मध्यम उद्योग, हेवी उद्योग से कैपिटल मार्केट तक खुश है। 
उन्होंने कहा कि जूता जैसे उद्योग जो समाज के शोषित वर्ग के लिए रोज़गार और विदेश मुद्रा अर्जन के लिए अपार संभावनाये रखता है, पर बजट का विशेष फ़ोकस रहा। आर्थिक सर्वे उत्साहजनक न होते हुए भी सरकार बड़े निर्णय ले रही है। जीडीपी की वर्तमान दर 6.3 प्रतिशत या 6.8 प्रतिशत से हम विकसित भारत के लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते, जीडीपी वृद्धि दर कम से कम 8 प्रतिशत और फिर डबल डिजिट पर ले जानी होगी। उसके लिए फूंक फूंक कर कदम महँगाई की दर सीमित रहे आर्थिक घाटा सीमित रहे लेकिन अर्थव्यवस्था गति पकड़े  के लिए दो उपाय , एक आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ाना, कर के अतिरिक्त स्रोत विकसित करना, वह एसेट मॉनेटाइजेशन हो, विनिवेश हो या पीपीपी सारे प्रयास इस बजट में किए गए हैं। देखना है जनता इन सबका कितना लाभ लेती है और धरातल पर कितना क्रियान्वयन होता है।
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बजट मध्यम वर्ग के लिए मील का पत्थर  
आयकर विशेषज्ञ सीए दीपिका मित्तल ने कहा कि 
वित्तमंत्री ने इस बार मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को बहुत बड़ा तोहफा दिया है। अभी तक अक्सर मध्यम वर्ग की यह शिकायत रहती थी कि उनके लिए सरकार कुछ भी बड़ा ऐलान नहीं करती। मगर इस बार मानक कटौती 75,000 रुपये के साथ नौकरीपेशा लोगों को अब 12.75 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं देना होगा। कर छूट से मध्यम वर्ग के लोगों के पास खपत के लिए अब अधिक पैसे बचेंगे। साथ ही निवेश और बचत अब और भी बढ़ेगी। महिलाओं को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने पहली बार बिजनेस शुरू करने वाली एससी/एसटी महिलाओं के लिए 2 करोड़ रुपये तक के टर्म लोन देने की योजना की शुरुआत की है। सरकार अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल पेश करने जा रही है जिसमे कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं।  
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सीट वृद्धि हरदम अच्छी नहीं, झोलाछाप तो नहीं बढ़ा रहे?
प्रमुख चिकित्सक डॉ. संजय चतुर्वेदी ने केंद्रीय बजट में चिकित्सा छात्रों के लिए सीट वृद्धि का प्रावधान किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सीट वृद्धि हरदम अच्छी नहीं है, यह देखना होगा कि क्या हम डॉक्टर के नाम पर झोलाछाप तो नहीं बढ़ा रहे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एमबीबीएस और पीजी सीटों में 72-78% वृद्धि (2014-2021) के बावजूद, 40% पासिंग क्राइटेरिया जैसे फैसलों ने शैक्षणिक मानकों को कमजोर किया है। अधिकांश नए कॉलेजों में रोगियों की कमी, प्रशिक्षित फैकल्टी का अभाव और आधुनिक उपकरणों की अनुपलब्धता जैसी समस्याएं व्याप्त हैं। 50% से अधिक मेडिकल कॉलेज केवल 5 राज्यों (कर्नाटक, महाराष्ट्र, यूपी, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश) में केंद्रित हैं। ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के बजाय सीटें बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। पीजी शिक्षकों के लिए अनुभव आवश्यकता 5 से घटाकर 2 वर्ष कर दी गई। सुपर-स्पेशियलिटी शिक्षकों के लिए 8 वर्ष के बजाय 6 वर्ष का प्रावधान बनाया गया, जिससे शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हुई है।
वाणिज्यीकरण को बढ़ावा, मूल्यपरक शिक्षा का अभाव, नियामक संस्थाओं की विफलता, जैसी समस्याओं के बावजूद, सरकार द्वारा केवल संख्यात्मक विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना चिकित्सा शिक्षा के संकट को गहरा कर रहा है। गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे, नैतिक मानकों और क्षेत्रीय संतुलन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
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