हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले || मिर्ज़ा ग़ालिब की लोकप्रिय गजलों से मनी जयंती
आगरा, 27 दिसंबर। मिर्ज़ा ग़ालिब की 227 वीं जयंती पर ग्रैंड होटल में बज्म ए ग़ालिब का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि रक्षा संपदा अधिकारी दीपक मोहन एवं विशिष्ट अतिथि ए डी जे कुंदन मोहन थे।
अंतरराष्ट्रीय गायक सुधीर नारायण और उनके साथ कीर्तिका नारायण, श्रेया शर्मा, प्रीति, राधा तोमर ,खुशी, देशदीप, अमन, रिंकू और हर्षित पाठक ने मिर्ज़ा ग़ालिब की कई लोकप्रिय गजलों को प्रस्तुत किया।
प्रारंभ हुआ हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले इस ग़ज़ल से, कृतिका के स्वर थे नुक्ताचीं है गमें दिल। श्रेया ने सुनाया न कुछ था कुछ तो खुदा था और फिर सभी ने समवेत स्वर में प्रस्तुत किया, कोई उम्मीद वर नहीं आती कोई सूरत नजर नहीं आती।
सुशील सरित ने संचालन करते हुए कहा एहसास ए तबस्सुम ग़ालिब है ख्वाबों का इशारा ग़ालिब है दुनिया में दूसरी दुनिया का भरपूर नज़ारा ग़ालिब है।
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आयोजन का शुभारंभ मिर्ज़ा ग़ालिब की तस्वीर के सम्मुख शमा रोशन कर कुंदन मोहन, दीपक मोहन, ललिता, विनोद महेश्वरी आदि ने किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए अरुण डंग ने कहा कि बेशक आगरा में शासकीय स्तर पर ग़ालिब का कोई स्मारक न हो किंतु वह हमेशा यहां के शायरों, कवियों और गायको के स्वर में जिंदा है और जिंदा रहेंगे।
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