सर्राफा कारोबारियों के यहां मिल सकती है करोड़ों रुपये की कर-अपवंचना! राजकोट में पकड़ा गया बिना टैक्स का बड़ा व्यापार || आगरा, दिल्ली, जयपुर में डीजीजीआई की सर्च पूरी, बड़ी संख्या में कच्चे पर्चे जब्त, हिसाब किताब में भी भारी अंतर मिला
आगरा, 25 अक्टूबर। जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) दिल्ली के नेतृत्व में गुरुवार को शहर के दो बड़े सर्राफा व्यापारियों और उनसे जुड़े एक दर्जन से अधिक कारोबारियों के आगरा, दिल्ली, जयपुर और राजकोट स्थित ठिकानों पर करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी सामने आने की संभावना बलवती हो गई है। विभागीय सूत्रों का दावा है कि सबसे बड़ी कर-अपवंचना राजकोट में सामने नजर आ रही है। सोने-चांदी पर मात्र तीन प्रतिशत टैक्स होने के बावजूद करापवंचन ही करोड़ों में पहुंचने की संभावना है।
इन छापों में अधिक सफलता न मिलने की शहर में चल रही चर्चाओं को नकारते हुए सूत्रों ने दावा किया कि डीजीजीआई ने पुख्ता सूचनाओं पर इन कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की। कारोबारियों द्वारा बसों में भरकर माल की सप्लाई की जाती थी। करीब चार दिन पहले ही इन कारोबारियों के कुछ लोगों को दिल्ली और राजकोट में टैक्स चोरी के माल के साथ पकड़ा जा चुका था। विभाग लंबे समय से कारोबारियों की गतिविधियों पर नजर रख रहा था। इसके बाद ही बड़ी टीम को एक साथ कई शहरों में कार्रवाई के लिए भेजा गया।
पता चला है कि सीबी चेंस कंपनी के यहां गुरुवार रात दो-ढाई बजे कार्रवाई पूरी कर ली गई थी, जबकि एपी ज्वैलर्स के यहां शुक्रवार को कार्रवाई पूरी हुई। उनके साथ लेन-देन करने वाले अन्य कारोबारियों के यहां भी जांच पूरी कर ली गई। इस दौरान बड़ी संख्या के स्टॉक और बिलिंग में अंतर मिला। अनेक कच्चे पर्चे पकड़े गए, जो लेन-देन के बाद फाड़ दिए जाते थे और टैक्स बचा लिया जाता था। सीबी चेंस के धन कुमार जैन ने दावा किया कि उनके यहां स्टॉक और बिलिंग में अंतर नहीं मिला।
सूत्रों का कहना है कि एक कारोबारी के यहां 47 लाख रुपये की नकदी भी मिली, जिसका हिसाब उनसे मांगा गया। वहीं बाजार में चर्चा थी कि यह रकम नब्बे लाख रुपये तक थी। कारोबारियों के आवासों पर महिला टीमों को साथ लेकर भी सर्च की गई। एक कारोबारी के घर में एक कमरे का ताला बमुश्किल खुल पाया। यहां कुछ बैग भी मिले जिन्हें टीम ने अपने कब्जे में ले लिया। इस दौरान कारोबारियों के अधिवक्ता और एकाउंटेंट भी पहुंच गए थे।
पूरी कर-अपवंचना
विभागीय सूत्रों का कहना है कि राज्य जीएसटी की कार्रवाई में अधिकांशतः शीघ्र बता दिया जाता है कि कितना डिस्क्लोज हुआ और उस पर टैक्स बता दिया जाता है। लेकिन डीजीजीआई देश की एक बड़ी संस्था है। यह पूरी छानबीन करने के बाद ही डिस्क्लोज करती है और इसमें तीन माह तक का समय लग जाता है। सूत्रों ने कहा कि यह तय है कि यह डिस्क्लोजर चौंकाने वाला होगा।
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