नित नए तरीके अपना रहे साइबर ठग ! आगरा में दो और लोग ठगी के शिकार, खातों से पार किए 93000 और 51000 रुपये
आगरा, 08 अक्टूबर। साइबर ठगों द्वारा शहरवासियों से ठगी के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस इन ठगों के पिछले तौरतरीकों के प्रति जनता को जागरूक करती है, तब तक ये ठग नए तरीकों से ठगी शुरू कर देते हैं।
साइबर ठगों द्वारा ठगी की एक अन्य घटना सामने आई, जिसमें उन्होंने 64 वर्षीया भूदेवी को 30 मिनट तक बैंक का फॉर्म भरवाने के नाम पर डिजिटल अरेस्ट रखा और दो खातों से 93 हजार रुपये से ज्यादा रुपये उड़ा लिए। ट्रांस यमुना क्षेत्र की रहने वाली भूदेवी के बेटे विजय कुमार ने बताया कि उनकी मां पिछले कई दिनों से बैंक में लॉकर खोलना चाहती थीं। मंगलवार की दोपहर उन्होंने अपनी पोती से कहा कि मोबाइल फोन पर बैंक में लॉकर ढूंढ दे। पोती ने मोबाइल पर गूगल पर जाकर बैंकों में लॉकर खोलने की प्रक्रिया सर्च की। तुरंत एक नंबर से कॉल आया और कहा गया कि मैं एसबीआई से ब्रांच मैनेजर अरुण बोल रहा हूं। आपको लॉकर खोलना है तो व्हाट्स एप पर एक फॉर्म भेज रहा हूं। उसे भर दीजिए। आधे घंटे तक उन्हें कॉल पर रखा। बात करते-करते ही फॉर्म भरने को कहा गया। भूदेवी ने अपनी पोती की मदद से फॉर्म भरा। फॉर्म भरते ही उनके एक बैंक एकाउंट से 9999 रुपये कट गए। फिर कॉल आया कि आपके एकाउंट में लॉकर खोलने के लिए पर्याप्त कैश नहीं है। दूसरा एकाउंट बताइए। दूसरा एकाउंट नंबर बताते ही उससे 83,997 रुपये कट गए। भूदेवी ने दवा कंपनी में काम करने वाले अपने बेटे को इसकी जानकारी दी। विजय कुमार शिकायत लेकर साइबर थाने पहुंचे। विजय कुमार का कहना है कि वहां उनसे कहा गया कि साइबर कैफे जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराओ। पीड़िता की तरफ से थाना एत्माउद्दौला में भी तहरीर दी गई है।
एक अन्य मामले में साइबर ठगों ने विश्व हिंदू परिषद के बृज प्रांत उपाध्यक्ष आशीष आर्य से 51 हजार रुपये ठग लिए।
आशीष संजय प्लेस स्थित आनंद वृंदावन मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में रहते हैं। उनके घर में गेल का घरेलू गैस का कनेक्शन है। तीन-चार माह से वे गेल के बिल का भुगतान नहीं कर पाए थे। पिछले दिनों उनके पास एक नंबर, जिसकी व्हाट्सएप डीपी पर गेल का लोगो लगा हुआ था, वीडियो काल आई और कहा कि आपका बिल भुगतान नहीं हो रहा है। आशीष आर्य ने स्वीकार किया कि वे बिल इसलिए जमा नहीं करा पाए हैं क्योंकि गेल की एप पर अपडेट नहीं हैं। इस पर कॉल करने वाले ने कहा कि मैं आपको एक लिंक भेज रहा हूं। आप उस पर पांच रुपये भेज दीजिए। बाद में इसी पर अपने बिल का भुगतान कर दीजिए। आशीष ने लिंक पर अपने क्रेडिट कार्ड से पांच रुपये भेज दिए और दूसरे कार्यों में व्यस्त हो गए। इस बीच ठगों ने उनके खाते से दो बार में 31 हजार और फिर 20 हजार रुपये निकाल लिए। स्टेट बैंक की ओर से आशीष के पास फोन आया और कहा कि आपके क्रेडिट कार्ड से अभी अभी दो पेमेंट हुए हैं, वे क्या आपने ही किए हैं। आशीष के मना करने पर बैंक ने और किसी पेमेंट पर स्टाप लगा दिया।
घबराए आशीष आर्य ने अपनी बेटी को फोन पर वाकया बताया तो बेटी ने उनके फोन को तत्काल रीसेट कर दिया। आशीष आर्य ने बाद में उस नंबर पर कॉल किया, जिससे गेल की डीपी लगाकर वीडियो काल की गई थी। यह नंबर 9411081983 था। यह घटिया आजम खां के किसी व्यक्ति का निकला। इस व्यक्ति से बात की गई तो उसने कहा कि उसके मोबाइल फोन में तो व्हाट्सएप ही नहीं चलता। फिर वह कैसे कॉल कर सकता है। आशीष की सलाह पर यह व्यक्ति न्यू आगरा थाने में पहुंचा और साइबर सेल में इस बात की शिकायत की कि उसका फोन हैक कर किसी ने गेल उपभोक्ता आशीष आर्य से फ्राड किया है। आशीष ने भी साइबर सेल में शिकायत लिखाई।
पता चला कि साइबर सेल के पास पहले से ही गेल के बिल के नाम पर ठगी के कई मामले आए हुए हैं। इससे लगता है कि साइबर ठगों को गेल के बकाएदार उपभोक्ताओं की लिस्ट मिल गई है और वे लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
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