---"न्यूज नजरिया" की पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा--- फिर तैयार रहें शास्त्रीपुरम में जल भराव से जूझने को || नगर निगम के बिचपुरी रोड एसटीपी में पांच पंप खराब, एक ही चालू || सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में कच्चा नाला एक सप्ताह में बनाने का दावा अभी तक अधूरा || अधिकारी नहीं लेते फील्ड अफसरों से फीडबैक || विधायक-मंत्री, मेयर, पार्षद भी उदासीन

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आगरा, 02 सितंबर। नगर निगम के बिचपुरी रोड स्थित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर सात पंपों में से एक ही काम कर रहा है। सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में नगर आयुक्त के करीब पंद्रह दिन पूर्व मौका मुआयना कर दिए गए कच्चे नाले की खुदाई के निर्देश भी अभी तक पूरे नहीं हो सके हैं। क्षेत्रीय विधायक, मेयर और पार्षद भी जनता की परेशानी के प्रति संवेदनशील कम नजर आते हैं। यही सब कारण हैं कि शास्त्रीपुरम और आसपास की कालोनियों को हर बारिश में जलभराव का सामना करना पड़ रहा है।
नगर निगम इन क्षेत्रों में जलभराव होते ही प्रयास तो करता है, लेकिन ये प्रयास तात्कालिक होते हैं और लोगों को राहत मिलने में काफी देर हो जाती है। पहली गलती तो आगरा विकास प्राधिकरण की रही कि उसने शास्त्रीपुरम कालोनी विकसित करते समय ड्रेनेज का ध्यान नहीं रखा। बिना सीवर लाइन लिंक किए और नाले-नालियों से पानी निकासी के इंतजाम किए बिना यह कालोनी नगर निगम के हैंड ओवर कर दी। नगर निगम इस कालोनी को अंगीकृत करने के तीन साल बाद भी इस समस्या का निदान नहीं कर सका है। 
शुक्रवार देर रात आई भारी बारिश से कालोनी की अनेक दुकानों और मकानों में पानी भर गया। लोगों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ। जलभराव से मुक्ति मिलने में करीब चौबीस घंटे लग गए।
#एक ही पम्प चलने के कारण लबालब भरा एसटीपी और केबिल ठीक करते कर्मचारी
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एसटीपी पर कुल सात पम्प, छह खराब, एक ही सही होकर आया
"न्यूज नजरिया" ने जब धीमे कार्य के कारण जानने के लिए रविवार को बिचपुरी रोड स्थित एसटीपी का निरीक्षण किया तो पता चला कि मात्र एक पंप ही कार्य कर रहा है। एसटीपी के चालीस फीट गहरे तीन कुएं तीस फीट तक भरे हुए थे। वहां मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि एक बार में दो पंप साथ-साथ चलाए जाते हैं तो कुओं में पानी केवल दस फीट रहता है, बाकी बाहर निकल जाता है।
दोनों पम्प क्यों नहीं चलाए जा रहे? यह पूछे जाने पर कर्मचारियों ने बताया कि एसटीपी पर कुल सात पम्प हैं। जिनमें से पांच बैकअप में रहते हैं। लेकिन छह पम्प पंद्रह दिन से खराब पड़े हैं। खराब पंपों को सही होने गाजियाबाद भेजा जाता है, वहां से सही होकर आने में पंद्रह दिन लग जाते हैं। एक पंप शनिवार की रात में सही होकर आ भी गया। लेकिन उसे प्लांट में फिट करने का सामान नहीं था। यह सामान बेलनगंज बाजार से आना था, रविवार को बाजार बंद बता दिया गया। अब सोमवार को सामान आने के बाद इस पंप को प्लांट में चालू किया जायेगा। कर्मचारियों ने बताया कि शेष पांच पंप अभी मरम्मत होकर नहीं आ पाए हैं। अकेले पम्प के चालू होने के कारण ही जल भराव को खत्म करने में समय लग रहा है।
#सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में नाले से पानी खींचने के लिए लगाई गई मशीन, जो मौके पर बंद मिली।
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कच्चा नाला बनाने के लिए एक सप्ताह का आश्वासन भी अधूरा 
यही हाल शास्त्रीपुरम से सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र की ओर जाने वाले नाले का है। इस नाले को आगे रेलवे लाइन के नीचे कलवर्ट से तथा आगे भी जोड़ा जाना है, लेकिन विभागों में समन्वय के अभाव के कारण पिछले कई सालों से काम रुका पड़ा है। निकासी न होने का दंश कालोनीवासियों को झेलना पड़ रहा है। पिछले दिनों नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने यहां का दौरा करके फिलहाल मशीनों से खुदाई कराकर कच्चा नाला बनवाने के निर्देश दिए थे ताकि पानी की निकासी आगे तक हो सके। अधीनस्थों ने उस समय इस कार्य को एक सप्ताह में करा देने का आश्वासन दिया था। इस बात को भी पंद्रह दिन होने आ गए नाले की खुदाई अभी तक आधी भी नहीं हो सकी है। यहां नाले से पानी खींचने के लिए अस्थाई तौर पर लगाई गईं मशीनें भी कुछ ही घंटे में हांफ जाती हैं और कर्मचारी काम रोक कर बैठ जाते हैं।
फील्ड में रहने वालों से फीड बैक नहीं लेते
नगर निगम से जुड़े कुछ जूनियर अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वरिष्ठ अधिकारी फील्ड में रहने वाले जूनियर अधिकारियों से फीड बैक लेने के बजाय कार्यालयों में बैठने वाले अधिकारियों की सलाह पर काम करते हैं। कई बार तो जूनियरों पर पेनल्टी भी भी लगा दी जाती है, लेकिन समस्या के मूल पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। जूनियरों का दावा है कि फील्ड में काम करने वालों से भी जानकारी ली जाए तो समस्या के निवारण को गति मिल सकती है।
विधायक-मंत्री, मेयर, पार्षद सब उदासीन
नगर आयुक्त भले ही जलभराव वाले क्षेत्रों का दौरा कर व्यवस्थाएं सुधारने के लिए अधीनस्थों के पेच कस रहे हों, लेकिन क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश सरकार की मंत्री बेबी रानी मौर्य, मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाह या फिर क्षेत्रीय पार्षद का शास्त्रीपुरम के प्रति जन सरोकार कम नजर आता है। समस्याओं को दूर कराने में उनकी रुचि कम ही लगती है। उन्हें लगता है कि चुनाव तो जीत चुके अब पांच साल बाद नंबर आयेगा तब मतदाताओं को मना ही लेंगे।
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