हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए भविष्य की नीतियां बनाने की कवायद || आगरा के फाइव स्टार होटल में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री और अधिकारी कर रहे चिंतन
आगरा, 09 सितंबर। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा यहां आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन सोमवार को कमजोर और वंचित समुदायों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा की गई।
सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सामाजिक न्याय एवम कल्याण विभागों के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। यह सम्मेलन सरकारी पहलों की समीक्षा करने और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए भविष्य की नीतियों पर रणनीति बनाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य कर रहा है।
शहर के पांच सितारा होटल जेपी पैलेस के सभागार में दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा और श्री रामदास आठवले उपस्थित रहे।
आर्थिक सशक्तिकरण पर मंथन
आर्थिक सशक्तिकरण सत्र में समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग, विमुक्त जनजाति और दिव्यांगजनों के उत्थान के लिए सरकार की रणनीतिक योजनाओं को प्रस्तुत किया गया। प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना जैसी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। निर्माण व मरम्मत छात्रावास योजना पर भी चर्चा की गई, जिसमें अनुसूचित जाति एवम जनजाति छात्रों के लिए आवासीय बुनियादी ढांचे में सुधार पर जोर दिया गया। इस सत्र के अन्य मुख्य कार्यक्रमों में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (SIPDA) के क्रियान्वयन की योजना शामिल थी। सत्र में अनुसूचित जाति उद्यमियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड पर भी चर्चा की गई।
शैक्षिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित:
शैक्षिक सशक्तिकरण सत्र में हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने और सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा देने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया। इस सत्र में कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा में बाधाओं को दूर करने के लिए छात्रवृत्तियों और पहलों पर प्रस्तुतियां दी गईं।
दिन के अंतिम सत्र में सामाजिक सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक कल्याण पहलों की प्रगति की समीक्षा की गई, जो कमजोर समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य से हैं। सत्र में नागरिक अधिकार अधिनियम, 1955 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के कार्यान्वयन की स्थिति पर चर्चा की गई। अटल वयो अभ्युदय योजना, जो वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और सम्मानजनक वृद्धावस्था पर केंद्रित है, पर भी चर्चा हुई। इसके बाद नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना और नशा मुक्त भारत अभियान पर चर्चा की गई, जिनका उद्देश्य जागरूकता अभियानों, पुनर्वास और निवारक उपायों के माध्यम से मादक पदार्थों के सेवन और नशा की लत से निपटना है।
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