सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों में केवल 14 प्रतिशत के पास ही बीमा!

आगरा, 09 सितम्बर। वाहन पोर्टल के अनुसार रजिस्टर्ड मोटर वाहनों की संख्या 09 सितम्बर को 37,77,64,802 थी जबकि 31 जुलाई को कुल 5,22,29,294 वाहनों के पास थर्ड पार्टी व काॅम्प्रिहेंसिव बीमा था मतलब की कुल 13.82 प्रतिशत वाहन के पास ही बीमा है। बीमा के वाहनों की संख्या का खुलासा सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत दी गयी सूचना से हुआ है जो कि वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा भेजी गयी है।
आरटीआई में यह सूचना मांगी गई थी कि कितने वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा है। इसके उत्तर में बीमा प्राधिकरण ने खुलासा किया कि 31 जुलाई को कुल वाहन जिनका बीमा था वे 5,22,29,294 थे जिसमें से थर्ड पार्टी स्टैण्ड अलोन इन्श्योरेन्स पाॅलिसी 2,36,08,339 वाहनों की थी जबकि ओन डेमेज पैकेज पाॅलिसी (काॅम्प्रिहेंसिव) के अन्तर्गत 2,86,20,955 वाहन थे। कुल रजिस्टर्ड वाहनों के सापेक्ष में बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत वाहनों की संख्या 100 वाहनों में से 14 की है।
बीमा प्राधिकरण से यह भी सूचना मांगी गयी थी कि कितने व्यक्तियों के पास व्यक्तिगत एक्सीडेन्ट इन्श्योरेन्स पाॅलिसी है। इसके उत्तर में अवगत कराया गया कि पर्सनल एक्सीडेन्ट व्यक्तिगत बीमों की संख्या मात्र 15,31,363 है और पर्सनल एक्सीडेन्ट ग्रुप के अन्तर्गत पाॅलिसियों की संख्या 11,94,895 है और कुल संख्या 27,26,258 है। व्यक्तिगत एक्सीडेन्ट इन्श्योरेन्स पाॅलिसी का महत्व इस प्रकार है कि जब कोई वाहन स्वामी अपने वाहन को चला रहा होता है तो यदि उसको चोट लग जाती है या मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में थर्ड पार्टी इन्श्योरेन्स का कोई लाभ उसे नहीं मिल पाता है जब तक कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ उसके द्वारा पर्सनल एक्सीडेन्ट कवरेज नहीं ले रखा है। पर्सनल एक्सीडेन्ट इन्श्योरेन्स पाॅलिसियों की कम संख्या भी चौंकाने वाली है।
अधिवक्ता जैन ने बताया कि वर्तमान में जब मोटर बाइक या स्कूटर खरीदा जाता है तो उसका पांच साल का थर्ड पार्टी इन्श्योरेन्स अनिवार्य है लेकिन उसमें केवल एक साल के लिये ही अनिवार्य पर्सनल एक्सीडेन्ट कवरेज होता है और एक साल के बाद जब तक कि वाहन स्वामी पर्सनल इन्श्योरेन्स कवरेज नहीं लेता है तो हादसे होने की स्थिति में वाहन स्वामी को इन्श्योरेन्स की राशि नहीं मिल सकती है।
जहां एक ओर वाहनों का बीमा न होना वाहन से हादसे होने की स्थिति में अन्य पीड़ित व्यक्तियों के लिये एक कठिनाई पैदा करता है कि उसे इन्श्योरेन्स कम्पनी भुगतान नहीं करेगी वहीं वाहन स्वामी के पास अनिवार्य पर्सनल एक्सीडेन्ट कवरेज नहीं है तो वह भी इन्श्योरेन्स के लाभ से वंचित रहेगा।
इन मुद्दों को लेकर अधिवक्ता जैन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे कि इलैक्ट्रोनिक निगरानी के माध्यम से उन वाहनों का चालान हो जो कि बिना बीमा पाॅलिसी के सड़कों पर दौड़ रहे हैं और उसके साथ-साथ अनिवार्य पर्सनल एक्सीडेन्ट कवरेज को थर्ड पार्टी वाहन पाॅलिसी का हिस्सा अनिवार्य रूप से बनाया जाये। यही नहीं, वर्तमान व्यवस्था में जो दोपहिया वाहनों के खरीद के समय 5 वर्ष की अवधि हेतु व चार पहिया वाहनों के लिये 3 वर्ष की अवधि के लिये थर्ड पार्टी इन्श्योरेन्स कराया जाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिनांक 20 जुलाई 2018 के अनुसार अनिवार्य है। इस अवधि को भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी प्रकार के वाहनों के लिये बढ़ाकर 10 वर्ष किया जाना चाहिये।
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