गागन दास रामानी ने विजय सामा के बयान को झूठ का पुलिंदा बताया, बोले- धनबल, बाहुबल से रचा षड्यंत्र

आगरा, 04 अगस्त। शू फैक्टर्स फेडरेशन के विवाद में विजय सामा द्वारा गागन दास रामानी पर आरोप लगाए जाने के बाद रामानी ने भी पलट वार कर दिया है।
"न्यूज नजरिया" को भेजे पत्र में रामानी ने कहा कि स्वयंभू अध्यक्ष विजय सामा के साथ जो लोग हैं वे फेडरेशन की टीम में मेरे साथ कई वर्षों तक रहे हैं। यहां तक कि स्वयं विजय सामा भी फेडरेशन की टीम में विगत तीन वर्ष से मेरे साथ कार्यकारिणी में रहे हैं।  फेडरेशन के नियमानुसार अध्यक्ष बनने के लिए पांच साल पदाधिकारी होना आवश्यक है। वे जो भी बातें व कह रहे हैं उनमें दूर-दूर तक सच्चाई नहीं है। मैंने फेडरेशन की स्व. राजकुमार सामा की टीम में चेयरमैन कंसीलेशन बोर्ड, संयुक्त महामंत्री व चेयरमैन लीगल सेल तथा महामंत्री पद पर 14 वर्ष तक सेवाएं दी। उसके बाद राजकुमार सामा के स्वर्गवास के बाद वर्ष 2014 में मुझे अध्यक्ष बनाया गया। विजय सामा जानते हैं कि मैंने सामा जी के साथ और बाद में भी फेडरेशन के हित में बहुत कार्य किए हैं। वर्ष 2006 में एक्साइज से फुटवियर कारोबार को बचाया। वैट की समस्याओं को निराकरण करने के लिए वर्ष 2007 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह व जयराम रमेश से मिला। वैट से फुटवियर कारोबार को बचाने के लिए एक नया कानूनी शब्द लोकल फुटवियर बनाकर तीन साल तक आगरा के फुटवियर पर कर नहीं लगने दिया। सरकार द्वारा प्लास्टिक फुटवियर की गलत व्याख्या कर 14-5% कर लगाने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भेंट कर टैक्स की दर 500 रुपये तक शून्य व उसके बाद 5%  टैक्स निर्धारित किया। जीएसटी लगने के बाद भी केंद्रीय वित्त मंत्री से कर की 5% दर 500/ से बढ़ाकर 1000/ तक करवाई। ऐसे अनेक कार्य मेरे द्वारा किए गए। 
सभी व्यापारीगण जानते हैं कि मैंने आगरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजकुमार सामा के साथ व उनके बाद लगभग 20 वर्ष महामंत्री के पद पर सेवाएं दी। शुरू में तीन साल मैं आगरा व्यापार मंडल का उपाध्यक्ष रहा। विजय सामा अपने धनबल, बाहुबल व षड्यंत्र से फेडरेशन के नियमों को ताक पर रखकर स्वयंभू अध्यक्ष बनने के कृत्य को अनैतिकता का सहारा लेकर सही साबित करना चाह रहे हैं। व्यापारियों को अपनी राजनीतिक पहुंच होने का दंभ भरकर किसी को प्रभावित कर व किसी को डरा धमकाकर अपने गुट में शामिल कर रहे हैं। अकाउंटेंट भीमसेन वृद्ध होने के कारण फेडरेशन का कार्य छोड़ गए। जहां तक वर्तमान करमचारियों की बात है, उनसे दबाव में बयान दिलाना कोई बड़ी बात नहीं है। वो भी जानते हैं कि जब तीन में से दो चुनाव अधिकारी उनके दबाव में फेडरेशन के नियमों के अनुरूप चुनाव न होने को भी सही बता रहे हैं तब फिर कर्मचारियों पर दबाव बनाना कौन सी बड़ी बात है। जहां तक फेडरेशन के बैंक अकाउंट की बात है वो तो राजकुमार सामा द्वारा खोले गए थे। मैंने सामा जी के बाद फेडरेशन फंड को बढ़ाया है जिस पर विजय सामा गुट की नजरें थीं व इसलिए ही जब 11/7/2024 की कार्यकारिणी बैठक में मैंने फैडरेशन के आडिटेड लेखे प्रस्तुत किए तो इनके गुट ने कहा, हमें तो बैंक एफडी बताओ। स्वयंभू अध्यक्ष विजय सामा ने फेडरेशन कार्यालय पर अनधिकृत कब्जा करके बैंकों की चेक बुक व एफ डी हथिया ली हैं। 
रामानी ने कहा, मुझे दुःख है कि फेडरेशन के अध्यक्ष पद को हथियाने के लिए वे बेसिर पैर की बातें कर रहे हैं जबकि मेरा उनके प्रति दुःख उनके फेडरेशन के नियमों को ताक पर रखकर स्वयंभू अध्यक्ष बनने पर है। मैंने हमेशा यह कहा है कि कोई भी, चाहें विजय सामा ही क्यों न हो फेडरेशन के नियमानुसार चुनाव कराकर अध्यक्ष बन जाएं, मुझे कोई एतराज नहीं है। 
विजय सामा द्वारा यह कहना कि उनके गुट के किसी सदस्य को जीवतराम ने कहा है कि उन्होंने मुझे पुत्र माना और मैंने उनके रुपये लेकर वापस नहीं किए। जीवतराम मुझे अपना भाई मानते हैं और आज तक मैंने उनसे तो क्या किसी से भी एक पैसा उधार नहीं लिया है। अफवाहें फैलाकर मेरी छवि खराब करने वाले ऐसी अनर्गल बातें करके क्या साबित करना चाहते हैं? जहां तक फेडरेशन की सदस्य संख्या घटने की बात है, हींग की मंडी में काफी दुकानें बंद हो गई हैं तथा जबसे विजय सामा का फेडरेशन में पदार्पण हुआ, संजय प्लेस की सदस्य संख्या 42 से घटकर आठ रह गई है। 
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