"जो इतिहास से सबक नहीं लेते, विलुप्त हो जाते हैं"
इतिहास सदैव एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय रहा है इतिहास का महत्व इसलिए है जो त्रुटियाँ इतिहास में हुई है वह दोहरायी न जायें। जो व्यक्ति या देश इतिहास से सबक नहीं लेते या इतिहास झुठलाते हैं, वे विलुप्त हो जाते हैं। हमें इतिहास में जीना नहीं है। जीना वर्तमान में हैं, लेकिन इतिहास में जो घटा उसकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिये चिंतन हर पल ज़रूरी है। सावधानी हटी दुर्घटना घटी...!
हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। किसी भी राष्ट्र के लिये स्वतंत्रता से बड़ा कुछ भी नहीं हो सकता। निःसंदेह देश के लिये राष्ट्र के लिये 15 अगस्त गर्व का दिन है। लाखों कुर्बानियाँ हुई हैं इस दिन के लिये।
लेकिन, ठीक एक दिन पहले इतिहास के उस काले पृष्ठ को भूल जाना भारी भूल होगी। 14 अगस्त को देश के विभाजन की वो विभीषिका जो मेरे परिवार जैसे लाखों परिवारों ने देखी है, सही है। उसे स्मरण कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लाखों के संख्या में पंजाब और सिंध से पलायन। धर्म परिवर्तन या पलायन को मजबूर..। वो हिंदुओं से कटी हुई रेलगाड़ियां, वो शरणार्थी कैम्प...। मंज़र याद कर रूह काँपती है। मेरा परिवार उन परिवारों में से एक मेरा परिवार जो डेरा ग़ाज़िख़ान में प्रतिष्ठित समृद्ध परिवार था, जैसे-तैसे ज़िंदा आगरा पहुँचने में सफल हुआ और मलपुरा के कैम्प में रहा। कैम्प से यहाँ तक पहुँचने के प्रयास माता-पिता की अनगिनत कुर्बानियाँ, जो पूँजी बचा-छिपा कर ला पाये थे प्रारम्भिक कारोबार असफलताओं का दौर, लेबर से लेकर, दूध, दर्जी से लेकर कोयला लकड़ी का बेचना, बेलचे से भर छानने से कर ठेल लादना..!
जियें वर्तमान में, लेकिन इतिहास को न भूलें।
लेखक - पूरन डावर
सामाजिक चिंतक एवं विश्लेषक।
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