स्वामी रामभद्राचार्य की दयानंद सरस्वती पर कथित टिप्पणी को लेकर आर्यसमाज में नाराजगी, बोले- माफी मांगें या शास्त्रार्थ करें || कानूनी नोटिस भी भेजा
आगरा, 29 जुलाई। तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य की आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती के बारे में की गई कथित टिप्पणी को लेकर आर्य समाज से जुड़े लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि बिना किसी प्रमाण के टिप्पणी करना अनुचित है। स्वामी रामभद्राचार्य इसके लिए आर्यजनों से माफी मांगें या शास्त्रार्थ करें।
यहां राजामंडी स्थित आर्य समाज मंदिर में सोमवार को हुई बैठक में आर्य संस्थानों व आर्यजनों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया और स्वामी रामभद्राचार्य की कथित टिप्पणी का विरोध किया।
बैठक में कहा गया कि महर्षि दयानन्द सरस्वती ने 30 ग्रंथ लिखे हैं, जिनमें कहीं नहीं लिखा कि रामायण और महाभारत काल्पनिक हैं। उन्होंने हमेशा श्रीराम और श्रीकृष्ण के चरित्र का अनुसरण करने की प्रेरणा दी। परन्तु स्वामी रामभद्राचार्य के कथित कथन कि महर्षि दयानन्द ने महाभारत और रामायण को काल्पनिक कहकर भूल की, जिससे समाज की हानि हुई, बिल्कुल निराधार और असत्य है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्री, आर्यवीर दल के संचालक वीरेन्द्र कनवर ने कहा कि स्वामी रामभद्राचार्य मांफी मांगें या शास्त्रार्थ करें, अन्यथा उनकी कथाओं में आर्यजन जवाब मांगने खुद पहुंचेंगे। उनके खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराया जाएगा। स्वामी रामभद्राचार्य को विरोध पत्र व लीगल नोटिस भी भेजा गया है। आर्यजनों ने कहा कि महर्षि दयानन्द ने अपने कालजयी ग्रन्थ “सत्यार्थ प्रकाश’’ के तृतीय समुल्लास में वाल्मीकि रामायण व महाभारत को पढ़ने के लिए स्पष्ट लिखा है। तीसरे, छठे तथा ग्यारहवें समुल्लास में भी उन्होंने महाभारत तथा रामायण के अनेक पात्रों का उल्लेख किया है।
बैठक में अनुज आर्य, अश्वनी, आर्य वीरांगना दल की संचालिका प्रेमा कनवर आर्य, आचार्य विश्वेन्द्र आर्य, ब्रजराज सिंह परमार, प्रदीप कुलश्रेष्ठ, डॉ. हर्षवर्धन शास्त्री, सुभाष आर्य, विकास आर्य, पवन आर्य, देवपाल शास्त्री, राकेश तिवारी, आचार्य विवेक शास्त्री, सोमप्रकाश शास्त्री आदि उपस्थित थे।
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