तेरह दिन से चीन से वापस नहीं आ पा रहा आगरा के मर्चेंट नेवी चीफ इंजीनियर का शव, पत्नी और बूढ़ी मां पर टूटा दुःख का पहाड़ || भारतीय दूतावास की ढिलाई से इंतजार हुआ लम्बा

आगरा, 25 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार विदेशों में फंसने वाले भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाने के मामलों में भले ही अपनी पीठ कितनी ही थपथपा लें, लेकिन दुःखद स्थिति है कि ताजनगरी के निवासी और मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर का पार्थिव शरीर पिछले तेरह दिन से चीन से वापस नहीं आ पा रहा है। चीफ इंजीनियर की परेशान पत्नी दूतावास से लगातार संपर्क कर रही हैं और प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री को ट्वीट कर चुकी हैं, पर कार्यवाही आगे बढ़ती नजर नहीं आ रही है।
शाहगंज, साकेत कालोनी के निकट चाणक्य पुरी में साईं धाम रेजीडेंसी निवासी शिक्षिका अंजुलता और उनकी अस्सी वर्षीया सास रामकिशोरी श्रीवास्तव का रो-रोकर बुरा हाल है। दोनों बच्चे भी रह-रहकर मां और दादी लिपट कर रोने लगते हैं। अंजुलता का पूरा समय लैपटॉप पर पति की कंपनी, दूतावास और अन्य अधिकारियों से संपर्क करते हुए बीत रहा है। लेकिन कहीं से शीघ्र पार्थिव देह मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
उनकी मदद करने के लिए चीन में निवास कर रही भारतीय महिला नम्रता उपाध्याय ने चीनी अधिकारियों और भारतीय दूतावास से संपर्क किया है। वे भागदौड़ में लगी हैं। कुछ अन्य आगरावासी भी मदद को आगे आए हैं और विदेश मंत्रालय के समक्ष इस मामले को उठाया है।
अंजुलता ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि उनके पति अनिल कुमार (49 वर्ष) का विगत 12 जून को अचानक हृदय गति रुकने के कारण चीन में निधन हो गया है। वे एम.वी.जी.एच. नाइटिंगेल कंपनी में मुख्य अभियंता पद पर कार्यरत थे। उनका जहाज ड्राईडॉकिंग के लिए चीन के झेजियांग प्रांत के झोउशान शहर में था। 11/12 जून की देर रात्रि अनिल की तबियत बिगड़ने पर उन्हें झोउशान अस्पताल झेजियांग विश्वविद्यालय, झोउशान शाखा (रोगी संख्या 0001018654, पासपोर्ट संख्या Z5349833) में ले जाया गया था। सुबह वे अस्पताल से वापस आ गए। दोपहर में उन्हें फिर सीने में दिक्कत होने लगी तो पुनः अस्पताल भर्ती कराया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
अंजुलता ने केंद्र सरकार से विनती करते हुए कहा कि वह और उनका परिवार बहुत कठिन समय से गुजर रहे हैं। उन पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अस्सी से अधिक आयु की सास को पुत्र बिछोह की स्थिति में संभालना बहुत मुश्किल है। तेरह दिन होने पर भी कहीं से कोई ठोस जवाब नहीं मिल पा रहा है। सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उनके पति के पार्थिव शरीर को आगरा भिजवाने का प्रबंध करे।
दूतावास की ढिलाई से लग रहा अधिक समय
अंजुलता व्यक्तिगत प्रयासों के साथ ही पति की कंपनी के अधिकारियों के भी निरंतर संपर्क में हैं। कंपनी के एक अधिकारी ने इस संवाददाता से फोन पर बातचीत करते हुए कहा कि कंपनी अनिल कुमार की पार्थिव देह को शीघ्र लाने के प्रयासों में लगी है, लेकिन चीन स्थित 
भारतीय दूतावास के अधिकारी ढिलाई बरत रहे हैं। उनका कहना है कि वापसी की पूरी प्रक्रिया में 25 से 30 दिन लग सकते हैं। हां, यदि केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे तो कुछ ही दिन में पार्थिव शरीर वापस लाया जा सकता है।
चीन में दौड़भाग कर रही नम्रता उपाध्याय 
उधर चीन में मौजूद नम्रता उपाध्याय ने अंजुलता को कहा है कि वह भारतीय वाणिज्य दूतावास के निरंतर संपर्क में हैं। उन्होंने दुःख व्यक्त किया कि एक आमजन को सरकार से मदद नहीं मिल पा रही है, यदि कोई नेता होता तो परवाह की जाती। नम्रता स्वयं व्यक्तिगत रूप से संबंधित विभागों से बात कर चुकी हैं, कोई संतोषजनक जवाब देने को तैयार नहीं है। उन्होंने आगरा वासियों से अंजुलता की मदद के लिए उठ खड़े होने का अनुरोध किया है।
डा एसके अरेला भी प्रयासों में जुटे
सेवानिवृत आयकर अधिकारी डा एसके अरेला ने भी अनिल कुमार का पार्थिव शरीर स्वदेश वापस मंगाने के लिए वित्त मंत्रालय में अपने संपर्कों के माध्यम से विदेश मंत्रालय को पूरी जानकारी दी है। अरेला ने भारतीय दूतावास के धनराज पूनिया से भी फोन पर बात की। उन्होंने कहा कि यह बेहद निराशाजनक है कि मृतक का शव अभी तक नहीं पहुंचा है। बेबस विधवा अपने मृत पति के शव को पाने के लिए संघर्ष कर रही है।
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