चौ. उदयभान के नाती दिव्यांश को हाईकोर्ट से अंतरिम राहत नहीं, तीन सप्ताह के भीतर निचली अदालत में आवेदन की छूट

आगरा, 17 मई। प्रदेश सरकार के पूर्व राज्यमंत्री चौधरी उदयभान के नाती दिव्यांश चौधरी की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 438 के अंतर्गत राहत देने से इंकार कर दिया।  लेकिन साथ ही कहा कि यदि आवेदक तीन सप्ताह के भीतर संबंधित न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करता है और जमानत के लिए आवेदन करता है, तो जमानत आवेदन पर न्यायालयों द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार शीघ्रता से निर्णय लिया जाएगा। 
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि तीन सप्ताह की अवधि के लिए या निचली अदालत के समक्ष आवेदक के आत्मसमर्पण के समय तक, जो भी पहले हो, उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
गौरतलब है कि विगत 15 अप्रैल की रात को जूता कारोबारी अपनी बेटी को कार से रेलवे स्टेशन से लेकर शाहगंज के ऋषि मार्ग स्थित घर पहुंचे थे। कार से उतरते ही पूर्व मंत्री चौधरी उदयभान सिंह के नाती दिव्यांश चौधरी ने जूता कारोबारी और उनकी बेटी को अपनी कार से कुचलने की कोशिश की थी। स्थानीय लोगों के आ जाने पर वह भाग गया। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई। इस मामले में परिजनों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने दिव्यांश चौधरी पर 25 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया। लेकिन दिव्यांश चौधरी अब तक गिरफ्तार नहीं हुआ। जबकि उसकी कार चौधरी उदयभान सिंह के घर से बरामद हो चुकी है। कुर्की की कई बार पुलिस ने बात की, लेकिन अब कुर्की का नोटिस नहीं लगाया है।
आरोपी के अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 438 के अंतर्गत अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र लगाया गया था। पिछली सुनवाई में केस डायरी, सक्षम अधिकारी को प्रस्तुत करने को कोर्ट ने कहा था। इस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। अदालत द्वारा जारी आदेश के अनुसार, मामले को उठाए जाने पर, आवेदक के वकील ने योग्यता के आधार पर इस आवेदन के माध्यम से मांगी गई राहत पर जोर नहीं दिया और आवेदक के जमानत आवेदन पर शीघ्रता से निर्णय लेने के लिए संबंधित न्यायालयों को उचित निर्देश जारी करने की प्रार्थना की। तदनुसार, इस आवेदन के माध्यम से आवेदक द्वारा मांगी गई राहत अस्वीकार कर दी गई।
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि आवेदक आज से तीन सप्ताह के भीतर संबंधित न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करता है और जमानत के लिए आवेदन करता है, तो जमानत आवेदन पर न्यायालयों द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार शीघ्रता से निर्णय लिया जाएगा। आदेश में कहा गया है कि आज से तीन सप्ताह की अवधि के लिए या निचली अदालत के समक्ष आवेदक के आत्मसमर्पण के समय तक, जो भी पहले हो, उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस आदेश के साथ ही अंतरिम जमानत के आदेश को निस्तारित कर दिया गया।
इस मामले में पीड़िता के पिता विवेक महाजन का कहना है कि वे अब पुलिस कमिश्नर से मिलेंगे। 
उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आदेश।
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