मैं अक्सर सोचता रहता हूँ मेरी ज़िंदगानी में, तेरी आवाज़ न होती तो कुछ भी नहीं होता || ग्लैमर लाइव फिल्म्स के कवि सम्मेलन ने समां बांधा
फरीदाबाद से कवि दिनेश रघुवंशी ने पढ़ा -
न होते आँख में मोती तो फिर कुछ भी नहीं होता
नज़र कुछ ख़्वाब ना बोती तो कुछ भी नहीं होता
मैं अक्सर सोचता रहता हूँ मेरी ज़िंदगानी में
तेरी आवाज़ न होती तो कुछ भी नहीं होता।
सूरत से आई सोनल जैन ने श्रंगार रस का वर्णन किया-
अकेलापन सजाने का, मज़ा कुछ और होता है
हंसी को भी चिढ़ाने का, मज़ा कुछ और होता है
बहुत आसान होता है खुशी में मुस्कराना, पर
ग़मों में मुस्कुराने का मज़ा कुछ और होता है।
कानपुर से हेमंत पांडेय ने कुछ यूं बात रखी-
नेता जी घर आये हैं लड्डू पूड़ी लाये हैं
दिखा रहे हैं अच्छे सीन, बजा रहे हैं मिलके बीन
जीत गये तो बल्ले बल्ले, हार गये तो क्वारन्टीन।
दिल्ली से आए हास्य कवि कलाकार विनोद पाल ने अपने अंदाज को बयां किया-
तेरी आँखों मे जो देखूँ ज़माना भूल जाता हूँ,
मैं पीना भूल जाता हूँ मैं खाना भूल जाता हूँ
तेरी आँखों में खोकर के हुआ ये हाल है मेरा
मैं तीरअंदाज़ हूँ लेकिन निशाना भूल जाता हूँ।
वीर रस के कवि ईशान देव ने कहा -
हमको कोई कायर ना समझे, हम हर जवाब तन कर देंगे
यदि वतन मांगेगा कुर्बानी, तो भगत सिंह बनकर देंगे।
नोएडा की खुशबू शर्मा ने कहा-
मैं वो फूल नहीं हूं जो बिखर जाऊंगी
मैं वो खुशबू हूँ जो सांसों में उतर जाऊंगी।
ग्लैमर लाइव फिल्म्स के निदेशक सूरज तिवारी ने कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ये कार्यक्रम युवाओं को अपनी संस्कृति, विरासत, साहित्य और दर्शन का बोध कराते हैं साथ ही समाज में हिंदी भाषा एवं साहित्य को ज़िंदा रखने का कार्य भी करते हैं।
कार्यक्रम का संचालन दीपक जैन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन संस्था के अध्यक्ष एवं कवि सम्मेलन के संयोजक सूरज तिवारी ने किया।
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