मई का तीसरा शुक्रवार यानि लुप्तप्रायः प्रजाति दिवस, वाइल्ड लाइफ एसओएस कर रहा अथक प्रयास

आगरा, 16 मई। हर साल मई के तीसरे शुक्रवार को, दुनिया भर में हजारों लोग लुप्तप्रायः प्रजाति दिवस मनाते हैं, खतरे में पड़ी और लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए यह दिन स्मृति दिवस के रूप में जाना जाता है। लोग इन प्रजातियों के बारे में सीखते हैं और ज्ञान अर्जित करते हैं। वाइल्डलाइफ एसओएस जंगलों के विनाश और तेजी से शहरीकरण के कारण लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत कई जानवरों को बचाने का कार्य कर रहा है। गिद्धों और हंगुल हिरण से लेकर हिमालयन ब्राउन भालू तक की सुरक्षा की जा रही है।
हलचल भरी मानव आबादी के बावजूद, भारत दुनिया की कुछ दुर्लभ लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, जिनमें एशियाई हाथी, बाघ, मगरमच्छ, स्लॉथ भालू, पैंगोलिन, स्टार कछुए, हूलॉक गिब्बन, एक सींग वाले गैंडे और कई अन्य प्रजातियाँ शामिल हैं। ये शानदार जानवर, मैंग्रोव वनों जैसे अपने प्राकर्तिक आवासों में अत्यधिक सुरक्षा के साथ भारत में पनपते हैं।
हाथी, भालू, बाघ और तेंदुए जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के उद्देश्य से सक्रिय परियोजनाओं के साथ, वाइल्डलाइफ एसओएस दिल्ली, आगरा, वडोदरा और जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों में बचाव हॉटलाइन संचालित कर रहा है। 
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि का कहना है कि विश्व लुप्तप्राय प्रजाति दिवस के अवसर पर, वाइल्डलाइफ एसओएस ने प्रकृति प्रेमियों और संरक्षण के प्रति उत्साही लोगों को आगरा, मथुरा और बैंगलोर में हमारे रेस्क्यू सेंटर्स पर स्वयंसेवी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है।
सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य को समझ कर लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने में योगदान दे सकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम अपने जीवनकाल में लुप्तप्राय प्रजातियों के नुकसान को न देखें।
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