योगेंद्र उपाध्याय बोले- आरोप पूरी तरह झूठे, यह मेरे खिलाफ एक और साजिश, सरकारी तो दूर निजी शिक्षण संस्थान का कोई कर्मी अटैच नहीं || डा अम्बेडकर विवि के माली के जहर खा लेने से मचा बवाल
आगरा, 14 मई। आगरा दक्षिण विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने मंगलवार को अपने और पुत्र अलौकिक उपाध्याय पर लगे आरोपों को पूरी तरह से झूठा बताते हुए इसे उन्हें बदनाम करने की एक और साजिश बताया। उन्होंने कहा कि ताजा घटनाक्रम के पीछे भी वही लोग हैं जिन्होंने उनको जगदीशपुरा जमीन मामले में बदनाम करने की असफल साजिश की थी।
गौरतलब है कि मंगलवार की दोपहर डा. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कर्मचारी दिनेश कुशवाह को विषाक्त पदार्थ खा लेने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। विवि कर्मचारी की पत्नी साक्षी कुशवाह ने एक वीडियो में योगेंद्र उपाध्याय के छोटे बेटे अलौकिक उपाध्याय पर आरोप लगाए। वीडियो में वह कह रही हैं कि उनके पति को परेशान किया जाता था। दो साल से छुट्टी नहीं मिली। संडे को भी काम करवाते थे। मंत्री के छोटे बेटे ने उनके पति के मुंह पर बहुत थप्पड़ मारे। मेरे पति बहुत परेशान थे। खुद को कमरे में बंद कर उन्होंने नशीली दवाएं खा लीं। इसके बाद उन्हें अस्पताल में लेकर भागे। अस्पताल में उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। कर्मचारी के जहर खाने के बाद विवि के कर्मचारियों ने कुलपति कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया और विवि में काम ठप कर दिया। कर्मचारियों ने जानना चाहा कि किस आदेश के तहत दिनेश कुशवाह को मंत्री के आवास पर काम के लिए अटैच किया गया।
"न्यूज नजरिया" ने जब इस मामले में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से बात की तो उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र से वाराणसी से लखनऊ लौटते में मोबाइल फोन पर बात करते हुए कहा कि उनके यहां किसी सरकारी विश्वविद्यालय, महाविद्यालय या संस्थान तो दूर किसी निजी शिक्षण संस्थान का भी कोई कर्मचारी अटैच नहीं है। उन्हें बताया गया है कि पीड़ित व्यक्ति माली है, जबकि उनके निवास पर कोई इतना बड़ा बाग-बगीचा ही नहीं है, जिसमें माली की जरूरत पड़े।
उपाध्याय ने कहा कि कुछ लोगों को जनता के बीच कार्य करते रहने की उनकी शैली रास नहीं आ रही है और वे ही इस प्रकार के कुचक्र रचते रहते हैं। पहले उन्हें जगदीशपुरा जमीन प्रकरण में बदनाम करने की साजिश की गई, वो तो पुलिस जांच में टहल सिंह जीवित पाए गए और उमा देवी उनकी फर्जी वारिस पाई गई तो साजिश सफल नहीं हो सकी। ऐसे ही लोगों ने इस बार फिर साजिश रची है। जल्द ही इसका भी पर्दाफाश हो जायेगा।
इस प्रकरण पर वीसी प्रो. आशु रानी ने एक वीडियो जारी करते हुए सफाई दी। वीडियो में कुलपति कह रही हैं कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि कर्मचारी को किसके आदेश पर अटैच किया गया था। इसकी जांच कराई जाएगी। कर्मचारी के इलाज का खर्चा विवि उठाएगा। पूरे मामले की जांच के लिए कुलसचिव ने तीन सदस्यीय समिति बना दी है।
दो साल से मंत्री के यहां था अटैच?
दिनेश कुशवाह की तरफ से एक शिकायत भी कुलसचिव के नाम की गई है। इस शिकायत पत्र में लिखा है कि सहायक कुलसचिव पवन कुमार के कहने पर दो साल पहले उसे उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के यहां अटैच किया गया। वहां उसके साथ मारपीट होती थी। इसकी शिकायत पहले भी दिनेश ने सहायक कुलसचिव से की थी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। कर्मचारी ने पत्र में लिखा कि मंत्री का छोटा बेटा धमकी देता है कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। पूरा विश्वविद्यालय मैं चलाता हूं।
किस आदेश के तहत किया अटैच
विवि कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश चौधरी ने जानना चाहा कि माली सहित अन्य कर्मचारी किसके आदेश पर मंत्री के यहां काम कर रहे हैं? पिछले दो साल से माली मंत्री के यहां काम कर रहा था, इसकी जानकारी विवि को क्यों नहीं हो पाई? माली की अटेंडेंस कहां लग रही थी? वेतन विवि से मिल रहा था या मंत्री के यहां से?
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