आयकर छापा: डॉक्टरों, प्रोफेशनलों, उद्योगपतियों की भी पर्चियां || पूरन डावर बोले- फॉर्मल इकॉनामी में आना ही होगा, एक ही स्थान पर 53 करोड़ मिलना अचंभा
आगरा, 24 मई। आगरा फुटवियर मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर (एफमेक) के अध्यक्ष पूरन डावर ने पिछले दिनों शहर के तीन जूता कारोबारियों के यहां पड़े आयकर छापे के दौरान करोड़ों रुपये की नकदी पकड़े जाने और बड़ी संख्या में लेन-देन की पर्चियां जब्त किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पर्ची (प्रोनोट) अभी तक हींग की मंडी के जूता कारोबार की रीढ़ है। यह माइक्रो फाइनेंसिंग है, लेकिन समय के साथ व्यवस्थित होना ही पड़ेगा। फॉर्मल इकॉनामी में आना ही होगा। उन्होंने कहा कि विभागों को भी संवेदनशीलता के साथ हल निकालने होंगे। डावर ने कहा कि 53 करोड़ रुपये की राशि एक स्थान से मिलना आगरा ही नहीं देश को अचंभित करता है।
तीस करोड़ रुपये की पर्चियां मिलीं
कहा जा रहा है कि आयकर छापों के दौरान जांच टीमों को करीब 30 करोड़ रुपये की पर्चियां भी मिली हैं। पर्चियों पर जूता कारोबार का सिस्टम टिका हुआ है। यहां के जूता उद्योग का सालाना टर्नओवर 3000-3500 करोड़ रुपये का है। इस सालाना टर्नओवर में पर्ची सिस्टम का 80 प्रतिशत हिस्सा है। जूता कारीगर जूते बनाने के लिए बाजार से उधार में माल उठाते हैं। एक निश्चित अवधि में पैसे देने का वायदा करते हैं। माल दुकानदार के पास पहुंचता है। दुकानदार माल की कीमत की पर्ची बनाता है। पर्ची लेकर कारीगर बाजार में पहुंचता है, जहां पर्ची खरीदने वाले बैठे हैं।
किस दुकानदार की पर्ची है, उस हिसाब से ब्याज तय करते हैं। सौदा पटने के बाद पर्ची खरीद ली जाती है। कारीगर को ब्याज काटकर पैसा दे दिया जाता है, जिससे कारीगर उधार चुकाता है। पर्ची पर लिखी तारीख पर पर्ची खरीदने वाला दुकानदार के पास पहुंचता है। वहां से उसे कैश मिलता है, जिसमें उसका फायदा ब्याज का होता है।
डॉक्टरों, प्रोफेशनलों, उद्योगपतियों की भी पर्चियां
जूता उद्योग में पर्ची सिस्टम के ब्याज से काफी मुनाफा होता है। इसका पता लगने के बाद से शहर के कुछ धनी लोगों, जिनमें डॉक्टर, प्रोफेशनल्स, उद्योगपति आदि शामिल रहे हैं, ने भी दलालों को पर्चियां खरीदने पर लगा रखा है। ये लोग कारीगरों से साधारण ब्याज पर पर्चियां खरीदते हैं। पर्ची खरीदने के बाद निर्धारित समय में पर्ची पर कैश मिल जाता है। ब्याज के लालच में यह सिस्टम फलता-फूलता रहा है।
हर पर्ची पर कितना ब्याज लगेगा, यह दुकानदार की साख पर तय होता है। जिसकी जितनी अच्छी साख होती है, उसका ब्याज प्रतिशत उतना ही कम होता है। बाजार में 75 पैसे से लेकर 2.5 रुपये प्रति सैंकड़ा पर ब्याज तय होता है। जिनकी साख नहीं होती है, उनके नाम की पर्ची ही नहीं काटी जाती है।
________________________________________
Post a Comment
0 Comments