आगरा के लिए राहत भरी खबर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यमुना नदी के सिल्ट, स्लज और गन्दगी की तुरन्त सफाई हो, केन्द्र, राज्य व विप्रा शपथ पत्र दें
आगरा/नई दिल्ली, 22 अप्रैल। ताजनगरी से गुजर रही यमुना नदी में सिल्ट, स्लज और गन्दगी यदि नहीं हटायी गयी है तो उसे तुरन्त हटाया जाये। वरिष्ठ अधिवक्ता के.सी. जैन के अनुसार, यह राहत भरा आदेश सोमवार को पृथ्वी दिवस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया। जैन के अनुसार, उनकी याचिका सं. 171142 वर्ष 2019 पर न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं उज्जवल भुआन की पीठ ने यह आदेश दिया।
अधिवक्ता जैन ने बताया कि न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया कि यमुना की सफाई होनी चाहिए, इस सम्बन्ध में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। न्यायालय द्वारा पूछा गया कि क्या यमुना नदी की डिसिल्टिंग पूर्व में हुयी जिसके जवाब में यह बताया गया कि यमुना की सफाई के लिए कदम नहीं उठाया गया है। न्यायालय को यह भी बताया गया कि आर्किलॉजीकल सर्वे ऑफ इण्डिया द्वारा अपनी रिपोर्ट में यमुना की डिसिल्टिंग की सिफारिश की गयी है तथा जिलाधिकारी आगरा द्वारा बनायी गयी कमेटी ने भी डिसिल्टिंग के लिए कहा था।
न्यायमित्र एडीएन राव एवं अतिरिक्ति सॉलिसिटर जनरल सुश्री एश्वर्या भाटी को सुनने के उपरान्त न्यायालय ने यह आदेश किया कि यदि आगरा शहर से गुजर रही यमुना नदी से सिल्ट, स्लज व गन्दगी को हटाने के कदम आज तक नहीं लिये गये हैं तो तुरन्त लिये जायें। यदि सम्बन्धित एजेन्सी किसी विशेषज्ञ एजेन्सी की सहायता लेना चाहती हैं तो केन्द्र सरकार ले सकती है, यमुना को सिल्ट, स्लज और गन्दगी से मुक्त रखना होगा। यह कार्यवाही निरन्तर होनी चाहिए।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि केन्द्र सरकार इस सम्बन्ध में शपथ पत्र प्रस्तुत करे और ऐसे शपथ पत्र उप्र राज्य सरकार व आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा भी प्रस्तुत करने होंगे। तीनों संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से उन्हें बताना होगा कि नियमित रूप से यमुना की सफाई करने की जिम्मेदारी किस संस्था की होगी। यह शपथ पत्र जून के अन्त तक दाखिल करने होंगे और उसके लिए कोई भी अतिरिक्त समय नहीं दिया जायेगा। अब यह मामला 11 जुलाई को न्यायालय द्वारा सुना जायेगा।
अधिवक्ता जैन द्वारा सुनवाई के दौरान यह भी बताया गया कि वर्ष 2015 से हर वर्ष यमुना में पैदा होने वाले कीड़े ताजमहल के मार्बल की दीवारों पर गन्दगी छोड़ते हैं। आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा जो याचिका दाखिल की गयी थी उसमें यह मांग की गयी थी कि आगरा की यमुना नदी से लगभग 5-6 मीटर गहराई तक जमा सिल्ट व गन्दगी को हटाया जाये और यमुना की तलहटी को उसकी पूर्व स्वाभाविक स्थिति में लाया जाये तथा यमुना की नियमित रूप से गन्दगी को हटाया जाये। यदि आवश्यक हो तो किसी विशेषज्ञ संस्था से ड्रेजिंग व डीसिल्टिंग का पर्यावरण तथा यमुना नदी के किनारे स्थित स्मारकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा का अध्ययन करा लिया जाये। इस याचिका पर नोटिस पक्षकारों को 11 दिसम्बर 2019 को जारी किये गये थे और जल शक्ति मंत्रालय व उत्तर प्रदेश शासन की ओर से अपना जवाब वर्ष 2020 में दाखिल किया जा चुका है।
डीएम, एएसआई मान चुके डिसिल्टिंग है जरूरी
याचिका के साथ जिलाधिकारी आगरा की जांच आख्या 27 मई 2016 प्रस्तुत की है जिसमें यमुना की डिसिल्टिंग को आवश्यक बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी अपनी रिपोर्ट में यमुना डिसिल्टिंग की सिफारिश की गयी है। यही नहीं उत्तर प्रदेश शासन की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि यमुना की ओर ताज महल की उत्तरी दीवारों पर कीड़े आते हैं और हरे/काले धब्बों को मारबल सतह पर छोड़ देते हैं जो वर्ष में 3-4 बार होता है। राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह भी स्वीकार किया है कि यमुना अब काफी उथली हो चुकी है और उसका प्रवाह घट गया है। जवाब में यह भी स्वीकार किया है कि यमुना का गन्दा पानी ताजमहल की नीवों में पहुँच सकता है।
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