यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसों का मुख्य कारण- झपकी लगना
आगरा, 06 अप्रैल। जिले को ग्रेटर नोएडा से जोड़ने वाले 165 किलोमीटर लम्बे यमुना एक्सप्रेस वे पर होने वाले सड़क हादसों का मुख्य कारण वर्ष 2012 से वर्ष 2023 तक वाहन चालक को झपकी आना है। इसका खुलासा यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) द्वारा जन सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत उपलब्ध करायी गयी सूचना में हुआ।
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन की मांग पर दी गई जनसूचना में यह भी उल्लेख है कि यमुना एक्सप्रेस वे पर लगाये गये स्पीड कैमरे केवल वाहनों की ओवर स्पीडिंग की ही निगरानी करते हैं।
जनसूचना के अनुसार, वर्ष 2023 में वर्ष 2022 की अपेक्षा यमुना एक्सप्रेसवे पर 100 सड़क हादसे अधिक हुए। वर्ष 2022 में 311 सड़क हादसे हुए थे जबकि वर्ष 2023 में सड़क हादसों की संख्या 411 थी। थोड़ी सी राहत भरी खबर यह भी है कि यमुना एक्सप्रेस वे पर वर्ष 2023 में 92 लोगों की तथा वर्ष 2022 में 102 की मौत हुयी। वर्ष 2023 में यमुना एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसों में औसतन 4 दिनों में एक व्यक्ति की मौत हो गयी और प्रतिदिन घायल होने वालों की संख्या औसतन दो थी।
जन सूचना के बताया गया कि वर्ष 2012 से वर्ष 2023 तक 7,625 हादसे हुये जिनमें से झपकी लगने के कारण हुये हादसे 3,364 थे और ओवर स्पीडिंग के कारण 1,304 हादसे थे। इस अवधि में सभी हादसों में 1,320 लोगों की मौत हो गयी जिसमें से 522 लोगों की मौत झपकी आने से हुयी और 201 लोगों की मौत ओवर स्पीडिंग के कारण हुयी। ओवर स्पीडिंग के लिए वाहनों का ई-चालान होता है और ओवर स्पीडिंग का रियल टाइम डाटा नेशनल इनफोरमेटिक सेन्टर (एनआईसी) को भेजा जाता है।
केसी जैन ने एक वक्तव्य में यह जानकारी साझा करते हुए मांग की हादसों का मुख्य कारण झपकी आने को सड़क सुरक्षा नीति का मुख्य आधार बनाया जाना चाहिए। वाहन स्वामियों और ड्राइवरों के मध्य जागरूकता अभियान चलाया जाये तथा एक साथ ड्राइविंग कितने घंटे की जा सकती है और कितनी-कितनी देर बाद रुकना चाहिए यह भी निर्धारित किया जाना चाहिए। उनके द्वारा केन्द्र सरकार से यह भी अपील की गयी है कि सड़क हादसे के डाटा को एकत्र करने की व्यवस्था में सुधार किया जाये। यदि व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो शीघ्र अधिवक्ता जैन सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत करेंगे।
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