चैम्बर चुनाव: टला नहीं है कोषाध्यक्ष के प्रत्याशियों से खतरा, सिरे नहीं चढ़ पा रहे सर्वसम्मति के प्रयास
आगरा, 06 मार्च। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के चुनावों में कोषाध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के नामांकन पत्र भले ही जांच में सही बता दिए गए, लेकिन इन प्रत्याशियों के लिए खतरा टला नहीं है। चैंबर संविधान के जानकारों ने इस मुद्दे को पुनः उठाकर संविधान सम्मत कदम उठाए जाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। यदि ऐसा हुआ तो निर्वाचन के बाद भी उन्हें अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि संविधान में नियम है कि कोषाध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाला प्रत्याशी किसी राजनीतिक दल का पदाधिकारी नहीं होना चाहिए या फिर प्रोफेशनल वर्ग से नहीं होना चाहिए। कोषाध्यक्ष पद के एक प्रत्याशी के राजनीतिक दल का पदाधिकारी होने की बात कही जा रही है। वहीं दूसरे प्रत्याशी की कैटेगरी को लेकर स्थिति बहुत स्पष्ट नहीं होने की चर्चा है।
चुनाव समिति स्वीकार कर चुकी है कि दोनों प्रत्याशियों के नामांकन पत्र सर्वसम्मति के आधार पर सही घोषित किए गए। इस मामले में संविधानिक स्थिति पर चुनाव समिति चुप्पी साधे हुए है।
जानकारों की नाराजगी है कि सर्वसम्मति से पहले संविधानिक स्थिति क्यों नहीं देखी गई। एक पूर्व अध्यक्ष तो कह चुके हैं कि जब चैंबर अपने ही संविधान का पालन नहीं करेगा तो प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े लोगों से निष्पक्षता की उम्मीद कैसे करेगा।
सूत्रों का दावा है कि संविधानिक मुद्दों को लेकर 16 मार्च को प्रस्तावित कोर कमेटी की बैठक में कोषाध्यक्ष पद के प्रत्याशियों पर भी चर्चा हो सकती है। चर्चा में चुनाव हो जाने के बावजूद विजयी प्रत्याशी का कार्यकाल शून्य किए जाने की सिफारिश की जा सकती है।
इन हालात को दोनों प्रत्याशी समझ रहे हैं। राजनीतिक दल से कथित जुड़े प्रत्याशी ने मामले को ठंडे बस्ते में डलवाने के लिए पूर्व अध्यक्षों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं।
सर्वसम्मति की दूसरी बैठक नहीं हो सकी
इस बीच चुनावों को लेकर गुटबाजी भी सामने आने लगी है। पिछले दिनों कमलानगर रोड स्थित होटल में कुछ पूर्व अध्यक्षों और प्रत्याशियों की प्रयास किया, लेकिन आपसी सहमति नहीं बन पाई। सूत्रों का दावा है कि विगत सोमवार की सायंकाल संजय प्लेस स्थित एक होटल में कुछ अन्य पूर्व अध्यक्षों ने पुनः बैठक करने का प्रयास किया, लेकिन इस बैठक में बुलाए जाने वाले लोगों पर ही सहमति नहीं बन सकी और बैठक होने से पूर्व ही उसे टाल दिया गया। इसके बाद कुछ लोगों को तीन प्रत्याशियों के समर्थन के संदेश दिए गए।
चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय दो पैनल सामने आए थे। इनमें से एक पैनल के प्रत्याशी तो अभी संयुक्त प्रचार कर रहे हैं, लेकिन दूसरे पैनल के तीन प्रमुख प्रत्याशियों में से दो ने अपना संयुक्त प्रचार शुरू कर दिया है। कुछ प्रत्याशी अकेले ही अपना प्रचार कर रहे हैं। किसी राजनीतिक दल से जुड़ाव न बताकर अन्य गतिविधियां बताई जा रही हैं।
कार्यकारिणी सदस्यों में भी कड़ा मुकाबला
चैंबर के चुनावों में इस बार कार्यकारिणी सदस्यों के चुनाव पर भी कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है। पिछले वर्षों में कार्यकारिणी के सदस्यों के लिए पर्याप्त नामांकन नहीं हो पाते थे। इस बार कार्यकारिणी के 28 पदों के लिए 58 प्रत्याशी मैदान में हैं। सभी को मनाकर सर्वसम्मति बनाना टेढ़ी खीर हो गया है।
अधिक प्रत्याशी होना भी दो गुटों के शक्ति प्रदर्शन के कारण हुआ। दोनों गुटों ने अपने समर्थकों के अधिक से अधिक नामांकन कराए थे।
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