एनजीटी सदस्य ने नहीं किया यमुना डूब क्षेत्र का निरीक्षण, लेकिन बोले- डूब क्षेत्र से निर्माण हटने चाहिए

आगरा, 27 मार्च। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सदस्य डॉ. अफरोज अहमद ने बुधवार को यहां सर्किट हाउस में पर्यावरण संरक्षण कार्यों की बैठक ली। उन्होंने यमुना डूब क्षेत्र का निरीक्षण नहीं किया, लेकिन कहा कि डूब क्षेत्र से निर्माण हटने चाहिए। बैठक में शहर में हो रहे पर्यावरण संरक्षण संबंधी कार्यों का प्रजेंटेशन भी दिखाया गया।
डॉ. अफरोज अहमद ने कहा कि यमुना में गिर रहे नालों की रोकथाम का काम अभी 50 प्रतिशत ही हुआ है। सभी नाले ट्रीट होकर नदी में नहीं गिर रहे। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि नालों की टैपिंग का प्रपोजल आगे बढ़ाएं। बैठक में नगर निगम, बायो मेडिकल वेस्ट सहित अन्य मुद्दों पर प्रजेंटेशन दिखाई गई। हाउस होल्ड, वेस्ट मेटेरियल, सीवरेज व पेयजल से सम्बन्धित जानकारी भी दी गई। 
बैठक में डीएम भानु चंद्र गोस्वामी, सीडीओ प्रतिभा सिंह, डीएफओ आदर्श कुमार सहित, नगर निगम के अधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उपस्थित रहे।
डॉ. अहमद ने निर्देश दिया कि आम नागरिकों, छात्रों आदि को सॉलिड वेस्ट, लिगेसी वेस्ट, आर्गेनिक वेस्ट, बायोकेमिकल वेस्ट आदि के बारे में जानकारी के साथ-साथ उनके निस्तारण की चरणवार जानकारी दी जाए। 
इस बैठक में दयालबाग, ताजमहल के पीछे खनन और कीठम में इको सेंसिटिव जोन पर चर्चा नहीं हुई।
व्यस्तता को बताया कारण
डॉ. अहमद ने पत्रकारों के पूछने पर कहा कि व्यवस्तता के कारण वे यमुना डूब क्षेत्र का निरीक्षण करने नहीं जा पा रहे हैं। लेकिन अधिकारियों को निर्माण हटाने के निर्देश दे दिए गए हैं। 
चिह्नांकन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति 
बताते चलें कि सिकंदरा स्थित बाईंपुर से बल्केश्वर तक 10 किमी लंबे यमुना डूब क्षेत्र में 500 से अधिक निर्माण खड़े हैं। नदी का डूब क्षेत्र 100 मीटर है। ताज संरक्षित वन क्षेत्र के मामले में सुनवाई के बाद एनजीटी ने डीएम को डूब क्षेत्र निर्धारण के निर्देश दिए थे। सिंचाई विभाग ने डूब क्षेत्र चिह्नांकन के नाम पर खानापूर्ति की। आधी-अधूरी मुड्डियां लगाईं। दयालबाग के पोइया घाट पर डूब क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण को लेकर पुलिस, प्रशासन, सिंचाई और एडीए को मुंह की खानी पड़ी। छह माह बाद भी कब्जा नहीं हटा। 
डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण रोकना एडीए की जिम्मेदारी है। लेकिन, एडीए ही सबसे लापरवाह निकला। पूर्व में डूब क्षेत्र में एडीए ने अपार्टमेंट के नक्शे पास कर दिए। वर्ष 2016 में एनजीटी में मामला पहुंचा। वर्ष 2019 में एनजीटी के आदेश पर एडीए को डूब क्षेत्र में हुए निर्मण ध्वस्त करने पड़े। कोरोना काल के बाद फिर अवैध निर्माण शुरू हो गए। एडीए अधिकारी आंख मूंदे रहे। पोइया घाट पर हुए अवैध निर्माण मामले में सिंचाई विभाग ने एडीए को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा, लेकिन नतीजा शून्य रहा।
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