अजब-गजब: सरकार अभी कर रही विचार, नेशनल चैंबर ने पहले ही ले लिया श्रेय!
आगरा, 05 मार्च। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स में एक ओर संविधान का पालन न किए जाने के आरोप लग रहे हैं तो दूसरी ओर चैंबर की कार्यप्रणाली को लेकर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। ताजा मामला सरकारी निर्णय होने से पहले ही उसका श्रेय लेने का सामने आया है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने बजट में एमएसएमई इकाइयों को माल की खरीद या सेवा लेने पर 15 दिन और अधिकतम 45 दिन भुगतान करने का प्रावधान कर दिया है। देश भर के लाखों व्यापारी इस प्रावधान का विरोध कर रहे हैं और सरकार से इसे वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।
सोमवार को एक न्यूज चैनल पर खबर दिखाई गई कि इस प्रावधान को सरकार द्वारा टाला जा सकता है। इसके साथ ही एक न्यूज वेबसाइट ने सायंकाल खबर प्रसारित कर दी कि प्रावधान को वित्त मंत्रालय ने अप्रैल, 2025 तक के लिए विलंबित कर दिया है। नेशनल चैंबर कार्यालय ने बिना इस खबर की पुष्टि लिए तुरंत ही इस प्रावधान को वापस लिए जाने का श्रेय ले लिया। चैंबर अध्यक्ष राजेश गोयल के हवाले से विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि चैंबर ने इसके लिए पहल की थी और उसके प्रयास रंग ले आए। कहा गया, "बजट 2023 में इस धारा की घोषणा होने के बाद शीघ्र ही में आयकर प्रकोष्ठ के चेयरमैन अनिल वर्मा ने इसके विपरीत प्रभाव समझकर अन्य विशेषज्ञों से सलाह ली और 16 मार्च, 2023 को चैम्बर द्वारा वित्त मंत्री महोदया को एक विस्तृत प्रतिवेदन भेजा था।"
चैंबर की विज्ञप्ति में कहा गया, "आयकर प्रकोष्ठ चेयरमैन अनिल वर्मा ने बताया कि इस घोषणा के बाद.... ....उद्यमियों एवं व्यापारियों द्वारा इसे वापस लेने के लिए काफी विरोध में स्वर उठे। यह बड़ी प्रसन्नता की बात है कि चैम्बर के प्रयासों से इसे अप्रैल, 2025 तक विलंबित कर दिया गया है।"
चैंबर जैसी बड़ी संस्था को जिम्मेदार मानते हुए कुछ स्थानीय खबरनवीसों ने इस विज्ञप्ति को अपने स्तर पर प्रसारित भी कर दिया, लेकिन प्रातः प्रमुख समाचार पत्र में छपी खबर से स्पष्ट हुआ कि यह निर्णय अभी हुआ नहीं है। सरकार देशभर के व्यापारियों की मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है और इस प्रावधान को एक साल के लिए टाला जा सकता है।
न्यूज चैनल पर देख भेजी प्रतिक्रिया-राजेश गोयल
इस बारे में पूछे जाने पर चैंबर अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि उन्होंने एक न्यूज चैनल पर इस आशय की खबर देखी थी, उसी आधार पर प्रतिक्रिया भेजी। उन्होंने संभावना जताई कि अभी केवल वित्त मंत्रालय ने घोषणा की हो और सरकारी आदेश जारी न किया हो, इसलिए समाचार पत्र ने प्रावधान टाले जाने के बारे में नहीं लिखा।
संभावना है आजकल में आदेश आ जाए-अनिल वर्मा
चैंबर आयकर प्रकोष्ठ चेयरमैन अनिल वर्मा ने भी पूछे जाने पर कहा कि बहुत संभावना है कि आजकल में इस बारे में सरकारी आदेश आ जाए। उन्होंने स्वीकार किया कि व्यापारियों के हित की बड़ी खबर सुनते ही अति उत्साह में चैंबर कार्यालय ने यह विज्ञप्ति जारी की।
चैंबर अध्यक्ष राजेश गोयल और आयकर प्रकोष्ठ चेयरमैन अनिल वर्मा दोनों ने "न्यूज नजरिया" को एक न्यूज चैनल और एक वेबसाइट के स्क्रीन शॉट भी भेजे। न्यूज चैनल की स्क्रीन पर "To be deferred by a full financial year" (एक पूरे वित्तीय वर्ष तक टाला जाना है) लिखा है। जबकि वेबसाइट के पेज पर "उद्योग की प्रतिक्रिया के बीच वित्त मंत्रालय ने एमएसएमई के लिए 45 दिवसीय भुगतान नियम को अप्रैल 2025 तक विलंबित कर दिया" लिखा है।
सवाल यह है कि जब दो में से एक लिख रहा है कि यह कार्य होना है और दूसरा लिख रहा है कि कार्य हो गया तो क्या चैंबर कार्यालय को विज्ञप्ति जारी करने से इसकी पूर्णरूप से पुष्टि नहीं कर लेनी चाहिए थी।
सूरत के कारोबारी भी कर रहे भारी विरोध
अब मान भी लिया जाए कि सरकार ने प्रावधान टालने का निर्णय ले लिया है तो इसकी पुष्टि हाथ में आए बिना श्रेय लेने की जल्दी क्या थी। यह श्रेय कुछ समय रुक कर भी लिया जा सकता था।
वैसे एमएसएमई से जुड़े एक कारोबारी का दावा है कि नए प्रावधान के खिलाफ सूरत के कारोबारियों का भारी विरोध है और उनकी कड़ी लॉबिंग को देखते हुए ही सरकार नए प्रावधान को टालने का प्रयास कर रही है।
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