संकरी गलियों में चल रहे "मौत के चैंबर," आखिर क्यों होती रही जिम्मेदार विभागों की अनदेखी?
आगरा, 21 फरवरी। नमक की मंडी सर्राफा बाजार में मंगलवार रात्रि चांदी सफाई के प्लांट में गैस रिसाव से दो कारीगरों की जान चली जाने के बाद इस तरह के प्लांट पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सर्राफा बाजार में बिना मानक पूरे किए छोटे से कमरों में इस तरह के प्लांट चल रहे हैं। नमक की मंडी स्थित महल काम्प्लैक्स में तीसरी मंजिल पर मंगलवार को जिस दुकान में हादसा हुआ, खिड़की-जंगला न होने से वह गैस चैंबर में बदल गई थी। जिसकी चपेट में आकर कारीगरों आकाश और रवि को अपनी जान गंवानी पड़ी।
नमक की मंडी में महल शॉपिंग कांप्लेक्स पांच मंजिला बना हुआ है। इसमें सौ से अधिक दुकानें हैं। सूरज की रोशनी इन दुकानों तक नहीं पहुंचती है। अधिकांश दुकानों में खिड़की और जंगले नहीं हैं। दुकानों में चांदी से बनी चीजों की ऑनलाइन ट्रेडिंग के अलावा थोक व फुटकर काम होता है। सुबह बाजार खुलने से लेकर शाम को बंद होने तक काम्प्लैक्स में तीन - चार सौ लोग रहते हैं।
कांप्लेक्स में दर्जनों चांदी की सफाई के प्लांट चल रहे हैं। इन प्लांट में खिड़की-जंगला न होने से जहरीली गैस का रिसाव होने पर वह गैस चैंबर में बदल जाती हैं। काम्प्लैक्स से बाहर निकलने के लिए एक ही रास्ता है। व्यापारियों का कहना था कि गैस ने पूरे काम्प्लैक्स को अपने प्रभाव में ले लिया था। यदि वह समय रहते बाहर नहीं भागते तो जान पर बन आती। महल काम्प्लैक्स में चार वर्ष पहले भी आग लग चुकी है।
इनमें सुरक्षा के कोई उपाय नहीं है। इन प्लांट में जिन कैमिकल का प्रयोग होता है, उनसे जहरीली गैस बनती है। सभी प्लांट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जानकारी के बिना चल रहे हैं। पूर्व में कई लोगों द्वारा शिकायत भी की गई। संबंधित विभाग आए, खानापूर्ति करके चले गए।
इसके अलावा बिना नक्शा पास कराए बनाए गए दर्जनों काम्प्लैक्स की शिकायत आगरा विकास प्राधिकरण में भी की जा चुकी है। एडीए की टीम आती है, जांच करके बिना कोई कार्रवाई किए लौट जाती है। अग्निशमन विभाग ने पूर्व में घने बाजारों में जागरूकता अभियान चलाया था। इसके बावजूद अधिकांश काम्प्लैक्स में आग या गैस से बचाव के कोई इंतजाम नहीं किए गए।
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