सिपाही नहीं बीपीओ कहिए जनाब! सीपी ने लागू की बीट प्रणाली, थानेदार-चौकी प्रभारी नहीं, सिपाही होंगे सीधे जिम्मेदार, रखनी होगी पूरे क्षेत्र की जानकारी, हर हफ्ते चेक होगी बीट बुक

आगरा, 10 फरवरी। पुलिस आयुक्त जे रविन्दर गौड़ ने कमिश्नरेट में बीट प्रणाली लागू कर दी है। कमिश्नरेट में 1683 बीट बनाई गई हैं इनमें सिटी जोन में 615 बीट और देहात क्षेत्र में 1068 बीट बनाई गई हैं।
नई प्रणाली में सिपाही अब बीट पुलिस ऑफिसर (बीपीओ) कहलाएंगे। बीट क्षेत्र की जिम्मेदारी उनके पास रहेगी। सारे सत्यापन वे करेंगे। प्रार्थना पत्रों की जांच करेंगे। कौन पाबंद होगा। कौन गुंडा बनना चाहिए, यह बताएंगे। कोई घटना होगी तो जवाबदेही भी उनकी होगी। वारदात पर सीधे थाना प्रभारी जिम्मेदार नहीं होंगे। अभी तक थानों में थाना प्रभारियों के चहेते सिपाही सारे काम किया करते थे। दूसरे सिपाहियों के पास ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं था। उन्हें लगता था कि उनका काम सिर्फ इलाके में गश्त करना है, ताकि कोई घटना न हो जाए। अब ऐसा नहीं होगा।
थाना क्षेत्र में क्या चल रहा है। यह जानने के लिए पुलिस आयुक्त सीधे बीपीओ से भी बातचीत कर सकते हैं। बीट प्रणाली लागू होने के बाद थाने में तैनात प्रत्येक सिपाही के पास काम होगा। उसके अपनी बीट बुक तैयार रखनी होगी। सप्ताह में एसीपी उसका अवलोकन किया करेंगे। क्षेत्र में कुछ हुआ करेगा तो सीधे बीपीओ से पूछा जाएगा। उसके बाद चौकी प्रभारी और थाना प्रभारी का नंबर आएगा।
यह मिली जिम्मेदारी
- बीपीओ पासपोर्ट, किराएदार, शस्त्र लाइसेंस, चरित्र प्रमाण पत्र आदि का सत्यापन करेंगे।
- थाना क्षेत्र में आने वाले प्रार्थना पत्रों की जांच करेंगे।
- न्यायालय से प्राप्त होने वाले नोटिस और सम्मन आदि का तामील कराएंगे।
- शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 107/117, 151, 133 की कार्रवाई करेंगे।
- अपने क्षेत्र में सभी अवैध धंधों पर अंकुश लगाएंगे। क्षेत्र में कौन-कौन से अवैध धंधे होते हैं। अपराध होते हैं, इसकी जानकारी रखेंगे। कार्रवाई करेंगे।
- बीट क्षेत्र में संभ्रांत व्यक्तियों के संपर्क में रहेंगे। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, धार्मिक स्थल, जनप्रतिनिधि, पुलिस पेंशनर्स, ग्राम प्रधान, ग्राम चौकीदार, लेखपाल, पुलिस मित्र आदि के साथ व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर उनसे जुड़ेंगे। सूचनाओं का आदान-प्रदान किया करेंगे।
- अपने क्षेत्र में नियमित रूप से गश्त पर जाएंगे। क्षेत्र में होने वाले जुलूसों, गोष्ठियों के संबंध में उनके पास जानकारी होनी चाहिए।
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