आगरा किले में शिवाजी की भव्य शौर्य गाथा, महाराष्ट्र के सीएम और डिप्टी सीएम शामिल हुए कार्यक्रम में

आगरा, 19 फरवरी। आगरा किले में सोमवार की रात छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा सुनाई गई। शिवाजी की 394वीं जयंती पर आयोजित इस समारोह में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। किले में खासी संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया और दावा किया गया कि दो करोड़ लोग डिजिटल मीडिया के जरिए हिस्सा बनें।
महाराष्ट्र सरकार इस आयोजन की सह-आयोजक थी। कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रीएकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिरकत की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, शिवाजी महाराज के एक सिपाही के रूप में आया हूं। हर बार शिवाजी महाराज की जयंती यहीं मनाएंगे। शिवाजी महाराज सबसे अलग हैं क्योंकि उन्होंने हिंदू राज्य की स्थापना के बारे में सोचा और कुतुब शाही मुगलशाही सबसे लड़े। इस किले से ही शिवाजी ने औरंगजेब को चकमा देकर स्वराज की स्थापना की थी। ये किला ऐतिहासिक है।"
आगरा के इस लाल किले पर संगीत सोलह, शिवजन्म पालन, लेजर शो के माध्यम से आगरा की मुक्ति का इतिहास, पारंपरिक कला प्रदर्शनी, शिव जयंती समारोह और अन्य भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए।
अजिंक्य देवगिरी फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद पाटिल ने बताया कि शुरुआत में पुरातत्व विभाग ने समारोह की अनुमति देने से इनकार कर दिया था लेकिन उन्होंने इसके खिलाफ ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।  चूंकि राज्य सरकार सह-आयोजक है, इसलिए हमें आगरा किले में शिव जयंती मनाने की अदालत से अनुमति मिल गई। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में आगरा के लाल किले का विशेष महत्व है।  औरंगजेब जैसे विश्वासघाती और षडयंत्रकारी सम्राट ने छत्रपतियों को इसी किले में कैद करने की साजिश रची थी और छत्रपति शिवाजी महाराज ने कैद में बंद महाराजाओं पर नजर रखते हुए सुरक्षित महाराष्ट्र आने का महान कार्य किया था। हम आगरा के इस गौरवशाली इतिहास को एक बार फिर से जागृत करना चाहते हैं।
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