कर विशेषज्ञ बोले, आयकर की धारा 43बी में एच खंड बना उद्यमियों के लिए चुनौती

आगरा, 10 फरवरी। आयकर अपीलेट ट्रिब्यूनल के पूर्व सदस्य डाॅ. राकेश गुप्ता ने शनिवार को यहां उद्यमियों और व्यापारियों को बजट उपरान्त नियमों/कानूनों के प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 43बी में एच का जोड़ना एक चुनौती बन गया है। उद्यमियों/व्यापारियों के साथ-साथ टैक्स पेशेवरों को उसकी जटिलताएं/बारीकियां समझने में कठिनाई हो रही है। यह देखने में जितना छोटा लगता है, उतना ही ये गम्भीर है। 
उन्होंने कहा कि यदि निर्धारित समय में भुगतान नहीं जाता है तो सूक्ष्म और लघु उद्यमों से खरीदी गई वस्तुओं या ली गई सेवाओं को आपकी कर योग्य व्यावसायिक आय से कटौती की अनुमति नहीं दी जायेगी और यदि ऐसी राशि वर्ष के अंत में बकाया है तो फिर भुगतान किये जाने वाले वर्ष में इसकी अनुमति दी जायेगी। 
डॉ. राकेश गुप्ता नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के तत्वावधान में संजय प्लेस स्थित एक होटल में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें एक कवि की लाइनें याद आ रही हैं कि ’’देखन में छोटन लगत, पर घाव करें गंभीर।’’ यह लाइन इस खंड एच पर सटीक बैठती हैं या तो बकाया पर भरपूर (30 प्रतिशत) टैक्स भरकर सारे झंझटों से दूर हो जाओ नहीं तो बकाया आयकर पर तीन गुना ब्याज, सरचार्ज आदि के लिए तैयार रहो। वास्तव में यह छोटा सा खंड एक बड़ा सरदर्द है।  
चैंबर के आयकर प्रकोष्ठ के चेयरमैन अनिल वर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि गतवर्ष बजट में आयकर की धारा 43 बी में एच खंड जोड़ा गया था। जिसका उद्योग और व्यापार पर विपरीत प्रभाव पडने की संभावना है। इस सम्बन्ध में नेशनल चैम्बर द्वारा वित्त मंत्रालय को पत्र भेजकर संशोधन हेतु सुझाव भी प्रेषित किये हैं।
अध्यक्ष राजेश गोयल ने बताया कि सरकार ने इस खंड "एच" को सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को समय से भुगतान प्राप्त कराने के अच्छे इरादे से जोड़ा था जिससे कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों का विकास तेजी से हो सके, किन्तु इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। क्योंकि निर्धारित समय जो 15 दिन या लिखित अनुबंध के साथ अधिकतम 45 दिन है उसमें भुगतान न करने पर बकाया राशि व्यवसायिक आय में जुड़ जाती है और उससे यह सभी परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं।
इस दौरान प्रश्नकाल में सभी जिज्ञासाओं को शांत किया। सेमिनार में धन्यवाद ज्ञापन पूर्व अध्यक्ष किशन गोयल ने किया। 
सेमिनार में अनिल अग्रवाल, मनोज बंसल, योगेश जिंदल, पूर्व अध्यक्ष शांतिस्वरुप गोयल, सीताराम अग्रवाल, अमर मित्तल, अतुल गुप्ता, अशोक गोयल, शलभ शर्मा, चंदर प्रकाश दौलतानी, ललित अरोड़ा, राजकिशोर खंडेलवाल, एस. एन. गुप्ता, मनोज गुप्ता, मयंक मित्तल, नीरज अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, गोपाल खंडेलवाल, सीए प्रार्थना जालान, राकेश नारंग, आर के मेघना नारायण बहरानी, राहुल राणा, दीपक माहेश्वरी, नितिन मित्तल समेत अनेक सदस्य उपस्थित थे।
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