भगवान राम की जन्मभूमि यरूशलम, वेटिकन और मक्का-मदीना जितनी ही महत्वपूर्ण

आगरा, 20 जनवरी। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि नजदीक आने के साथ ही शहर भर में उत्सव की हलचलें बढ़ गई हैं। हर सड़क पर भगवा ध्वज दिखाई देने लगे हैं। तमाम सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं ने आयोजनों की श्रृंखला शुरू कर दी है। इस बीच कुछ विचारकों के भी राम मंदिर को लेकर मत आने शुरू हो गए हैं। 
आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर (एफमेक) के अध्यक्ष पूरन डावर का कहना है कि 
राम मंदिर मात्र मंदिर नहीं है। न ही यहाँ मंदिर मस्जिद का प्रश्न है। प्रश्न भगवान राम की जन्मभूमि का है। यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना यरूशलम, वेटिकन और मक्का मदीना हैं। 
उन्होंने कहा कि अयोध्या को वेटिकन सिटी की तरह ऑटोनोमस स्टेट होना चाहिए। यह हिंदुओं के लिये ही नहीं बल्कि विश्व के सिविलाइजेशन और सनातन आस्था का केंद्र है। जिस द्रुतगति से राम मंदिर का निर्माण हुआ है उसके लिये न्यास और सरकार दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं। डावर ने कहा कि अयोध्या के विश्वस्तरीय विकास के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों को साधुवाद है, वे विकसित भारत की नींव प्राणप्रतिष्ठा के साथ रखने जा रहे हैं।
ब्रज की रज और यमुना मैया का जल से उत्कृष्ट समर्पण रामलला को क्या हो सकता है?
विश्व हिंदू परिषद से जुड़े सुभाष ढल ने कहा है कि ब्रज की रज और यमुना मैया का जल से उत्कृष्ट समर्पण रामलला को क्या हो सकता है? उन्होंने कहा कि साध्वी ऋतंभरा ब्रज की रज और यमुना मैया की जल को लेकर अयोध्या पहुंची हैं।
रामलला के चरणों का अभिषेक उनकी उन भावनाओं का समर्पण है जो निश्चल है, आत्मीयता की पराकाष्ठा है और उत्सव के आंसुओं का सैलाब है। शायद संघर्ष का इससे अच्छा मुआवजा और कोई हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि साध्वी ऋतंभरा उन सौभाग्यशालियों में हैं जिन्होंने राम मंदिर के लिए संघर्ष किया और अब उसे बनते भी देख रही हैं। मंदिर बनने की आस में हमारी कई विभूतियां स्वर्गारोहण कर गयीं।
ढल ने कहा कि सेवा में समर्पण या समर्पण में सेवा यही साध्वी ऋतंभरा का जीवन दर्शन है। प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में श्री रामलला साध्वी दीदी मां को उस ऊर्जा का अनुदान करें, जिसमें सर्वे भवंतु सुखिना का चरमोत्कर्ष हो।
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