करोड़ों की जमीन पर कब्जे की शिकायत डीजीपी तक पहुंची तो मची खलबली, सीपी ने कराई जांच और एसओ समेत चार पुलिसकर्मियों को किया निलम्बित, बड़ा सवाल असल साजिशकर्ताओं पर चुप्पी क्यों?
आगरा, 06 जनवरी। जगदीशपुरा क्षेत्र में करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जे के मामले में जांच के बाद पुलिस आयुक्त ने तत्कालीन थाना प्रभारी और तीन अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया, लेकिन पूरी साजिश में शामिल कुछ लोगों के प्रति चुप्पी अभी सवाल खड़े कर रही है। प्रदेश के डीजीपी के समक्ष शिकायत पहुंचने के बाद पुलिस अधिकारी सक्रिय हुए। उन्होंने मामले में संलिप्त आबकारी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की रिपोर्ट भेजी है।
बताया गया है कि करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए पुलिस ने दो भाइयों के परिवार को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेज दिया। पहले गांजे के मुकदमे में सगे भाइयों को जेल भेजा, फिर अवैध शराब बनाने का मामला बनाकर भाभी और ननद को जेल भेज दिया गया। इसके बाद पुलिस की शह पर चार बीघा जमीन पर कब्जा करा दिया गया। बचे हुए परिवार के सदस्यों को जेल भेजने का डरा दिखाकर शांत करा दिया।
दो माह बाद अब तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार (वर्तमान एसओ एमएम गेट) और उनके साथ इस खेल में शामिल तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर किया गया। मगर, इस मामले में साजिश रचने वालों पर अधिकारी नरमी दिखाए हुए हैं। उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कहा जा रहा है कि पूरे मामले की साजिश रचने वाले चर्चित व्यक्ति की अधिकारियों में खासी पैठ है।
यह है पूरा मामला
जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में बैनारा फैक्ट्री के पास बीएस कांप्लेक्स के पास चार बीघा जमीन है। बोदला रोड निवासी उमा देवी ने डीजीपी से शिकायत की। उनका कहना था कि उनके ससुर सरदार टहल सिंह के नाम से खतैना में चार बीघा जमीन है। टहल सिंह और उमा के पति सरदार जसवीर सिंह की मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद जमीन पर उमा का कब्जा था। देखरेख के लिए सरदार टहल सिंह ने रवि कुशवाह और शंकरलाल कुशवाह को जिम्मा दिया था।
करीब 35 वर्ष से दोनों परिवार के साथ इसी जमीन पर रहते हैं। रवि की पत्नी पूनम और रवि की बहन पुष्पा भी वहां रहती थीं। बेशकीमती जमीन पर पड़ोस के एक व्यक्ति का विवाद चल रहा था। कई नामी लोग उनके साथ मिल गए। पुलिस में चर्चित एक व्यक्ति ने इसमें कब्जा कराने का पूरा ठेका ले लिया।
आरोप है कि इस खेल में जगदीशपुरा पुलिस भी शामिल हो गई। साजिश के तहत पहला मुकदमा 26 अगस्त, 2023 को एनडीपीएस एक्ट का लिखा गया। पुलिस ने रवि कुशवाह, शंकरलाल उर्फ शंकरिया और जटपुरा निवासी ओमप्रकाश को पकड़ा। मौके से एक वाहन बरामद दिखाया गया। उसकी नंबर प्लेट फर्जी बताई गई। तीन पैकेट से नौ किलोग्राम गांजा बरामद दर्शाया गया। तीनों आरोपियों को जेल भेजा गया। मुकदमे में अरुण को फरार दिखाया गया, जो आज तक नहीं पकड़ा गया।
इसके बाद इस मामले में आबकारी विभाग की एंट्री हुई। नौ अक्टूबर को उसी जगह आबकारी निरीक्षक ने छापा मारा। मौके से नकली शराब की बोतलें दिखाई गईं। मौके पर रह रहीं पूनम और उसकी ननद पुष्पा को पकड़ा। जगदीशपुरा थाने में आबकारी अधिनियम का मुकदमा लिखा गया। धोखाधड़ी की धाराएं भी लगाई गईं। तीनों को जेल भेजा गया। जगह खाली हो गई। उसके बाद वहां रातों-रात काम चला। टूटी पड़ी बाउंड्री वाल बनवाई गई। सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए। दो सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर दिए गए। जमीन पर कब्जा दिलाने में मदद करने वाले नामी लोग अब वहां प्लाट काट रहे हैं। दो बार आगरा विकास प्राधिकरण कार्रवाई भी कर चुका है।
पीड़िता उमा की ओर से डीजीपी को शिकायत की गई। शिकायत पर डीजीपी आफिस से जांच के लिए एक सीओ स्तर के अधिकारी मौके पर आए। यहां आसपास के लोगों के बयान लिए। इसके बाद भी इस खेल में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं की गई।
शुक्रवार को जब मीडिया ने इस बारे में सवाल उठाया तो स्थानीय अधिकारी सक्रिए हो गए। इसके बाद पुलिस आयुक्त डा प्रीतिंदर सिंह ने डीसीपी सिटी से रिपोर्ट ली। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार, मुख्य आरक्षी उपेंद्र मिश्रा, शिवराज सिंह व आरक्षी रविकांत व एसआई विकास कुमार को दोषी माना। उन्होंने सभी की भूमिका को संदिग्ध माना। उन्होंने लिखा कि जमीन पर कब्जा कराने में दोषी पुलिसकर्मियों की सक्रिय संलिप्तता से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।
डीसीपी की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आयुक्त ने एसओ और टीम में शामिल हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल को निलंबित कर दिया। एसओ विकास कुमार का सहारनपुर तबादला हो गया है। उनके निलंबन के लिए वहां रिपोर्ट भेज दी गई है। विभागीय जांच एसीपी हरीपर्वत को दे दी गई है। इसके साथ ही आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा लिखाने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को रिपोर्ट दी जा रही है।
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