सामाजिक सेवाओं से भी जुड़े हुए हैं होम्योपैथी का दुनिया भर में प्रसार करने वाले "पदमश्री" डा. आरएस पारीक

आगरा, 26 जनवरी। दुनिया में भारतीय होम्योपैथिक पद्धति को पहचान दिलाने वाले 91 वर्ष के डा. राधे श्याम पारीक को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने गुरुवार की रात्रि उनके नाम की घोषणा की। वे सत्तर वर्ष से होम्योपैथी पद्धति से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डा. आरएस पारीक समाजसेवा से भी जुड़े हुए हैं। गोवर्धन और राधाकुंड में संन्यासी माताओं को हर महीने निःशुल्क परामर्श देते हैं और गौसेवा करते हैं। वे अक्षय पात्र जैसी परोपकारी संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।
मूलरूप से राजस्थान के नवलगढ़ के रहने वाले डा. आरएस पारीक ने 21 वर्ष की आयु में बेलनगंज में एक छोटे क्लीनिक से होम्योपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज करना शुरू किया। उस समय होम्योपैथी को बहुत कम लोग जानते थे, चर्म रोग सहित कई बीमारियों में एलोपैथी कारगर साबित नहीं हुई तो मरीजों ने उनसे इलाज कराया।
उन्होंने वर्ष 1956 में रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन से होम्योपैथी में ग्रेजुएशन किया था। तब वह पानी के जहाज से इंग्लैंड गए थे। उस समय यह बड़ी बात हुआ करती थी।
इसके बाद उन्होंने कैंसर सहित अन्य बीमारियों में होम्योपैथी से इलाज पर शोध किया। इसके बाद उन्होंने बाग फरजाना स्थित अपने निवास के निकट ही पारीक होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर स्थापित किया। इंग्लैंड, अमेरिका, रूस सहित कई देशों के डॉक्टरों को होम्योपैथी में सर्टिफिकेट कोर्स कराना शुरू किया।
उनके सेंटर पर मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण कैंसर, चर्म रोग सहित गंभीर और सामान्य बीमारियों पर शोध करना शुरू किया। केस स्टडी को विदेशों में होने वाली कार्यशालाओं में प्रस्तुति किया। इससे दुनिया भर में भारतीय होम्योपैथी पद्धति को अलग पहचान मिली और विदेश से डॉक्टर प्रशिक्षण लेने के लिए उनके सेंटर पर आने लगे।
वर्तमान में देशभर से और विदेशों से मरीज भी उनसे इलाज कराने के लिए आते हैं। उनके बेटे डा. आलोक पारीक होम्योपैथिक चिकित्सक हैं और यश भारती से सम्मानित हो चुके हैं। इंटरनेशनल होम्योपैथी संघ के पहले भारतीय अध्यक्ष बने। छोटे बेटे डा. राजू पारीक सर्जन हैं और उनके पौत्र डा. प्रशांत पारीक सर्जन और डा. आदित्य पारीक भी होम्योपैथिक चिकित्सक हैं।
डा. पारीक पदमश्री अवार्ड पाने वाले जिले के दूसरे चिकित्सक हैं। करीब दस वर्ष पूर्व डा. डीके हाजरा को भी पद्मश्री अवार्ड मिल चुका है। एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. डीके हाजरा को वर्ष 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
इन्हें मिल चुकी है पद्मश्री
इसके अलावा आगरा के जाने-माने साहित्यकार स्वर्गीय डॉ. लाल बहादुर चौहान को 2010 में यह सम्मान प्राप्त हुआ था। इन्होंने हिन्दी, उर्दू, पंजाबी भाषा में 70 से अधिक पुस्तकें विभिन्न विषयों पर लिखीं। इसके अलावा लोक नाटक, लोक कथाओं की रचना की। 
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