मधुसूदन मोटर्स के पारिवारिक विवाद में उछाला कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य का नाम, बताया जान का खतरा, मंत्री ने झाड़ा पल्ला, बोलीं- कोई लेना-देना नहीं, साक्ष्य पेश करें
आगरा, 15 जनवरी। शहर में पिछले कई दिनों से चर्चित मधुसूदन मोटर्स विवाद में निदेशकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। एक पक्ष द्वारा इस विवाद में पारिवारिक रिश्तेदार और प्रदेश की कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य और उनके परिजनों को भी आरोपी बनाया गया है। पिछले दिनों इस पक्ष ने लखनऊ में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर भी बेबीरानी की शिकायत की थी। वहीं दूसरा पक्ष इस मामले में पहले पक्ष पर गुमराह करने और विदेश भागने की तैयारी करने का आरोप लगा रहा है।
उधर कैबिनेट मंत्री बेबीरानी ने इस विवाद से पल्ला झाड़ लिया है। उनका कहना है कि उनकी पारिवारिक रिश्तेदारी जरूर है और उन्होंने कुछ महीनों पहले तक दोनों पक्षों में समझौता कराने के प्रयास भी किए थे, लेकिन कोई हल न निकलता देख स्वयं को अलग कर लिया। अब उनका कोई लेना-देना नहीं है। आरोप लगाने वालों के पास कोई साक्ष्य हों तो पेश करें।
इस मामले में एक पक्ष रविशंकर अग्रवाल ने सोमवार को प्रेस वार्ता आयोजित कर कहा कि उन्हें केंद्रीय मंत्री बेबी रानी मौर्य से उनके पूरे परिवार को जान का खतरा है। हमें एक व्यापारी से क्रिमिनल बना दिया गया है। हम एक सामान्य व्यापारी हैं, जो हर वर्ष लाखों का टैक्स देते हैं। उन्होंने कहा कि बेबीरानी मौर्य के परिवार ने पहले हमारे परिवार में फूट डलवाई फिर सत्ता के दबाव में पारिवारिक मामले को क्रिमिनल मामला बना दिया गया। हम सभी साक्ष्य देने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि मधुसूदन मोटर्स में रविशंकर और रमाशंकर संस्थापक निदेशक हैं, जिन्हें आजीवन निदेशक रहने का अधिकार है। इसी तरह मधुसूदन व्हीकल्स में दोनों भाइयों के बेटे रचित अग्रवाल व दीपेन्द्र शंकर संस्थापक निदेशक थे। परन्तु कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य व उनके बेटे अभिनव मौर्य के संरक्षण में छोटे भाई रमाशंकर व उनके बेटों रचित व अनुराग ने शोरूम से बाहर कर दिया और दो व्यवसायिक संस्थानों पर कब्जा करवा दिया। हीरो मोटरसाइकिल की डीलरशिप योजनाबद्ध तरीके से बेबीरानी के पति व बेटे ने अपने नाम करवा ली। आरोप है कि वर्ष 2020 से चल रहे इस षड्यंत्र के तहत रविशंकर व उनके बेटे दीपेन्द्र पर चार एफआईआर की गईं। जब उन्होंने क्रास एफआईआर कराने का प्रयास किया तो किसी थाने में सुनवाई नहीं की गई। रविशंकर पक्ष ने कोर्ट के माध्यम से कई एफआईआर करवाई, लेकिन सत्ता के प्रभाव में सभी चंद माह में एफआर लगा दी जाती है। पीड़ित पक्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला, जहां उन्हें जांच कराकर न्याय का आश्वासन दिया गया। परन्तु अब अलग-अलग माध्यम से पीड़ित पक्ष को धमकाया जा रहा है।
अनुराग अग्रवाल बोले- विदेश भागने की कोशिशों में लगे हैं रविशंकर
इससे पहले मामले में अनुराग अग्रवाल ने विवाद के बीच शंकर ग्रीन्स के मालिकों पर विदेश भागने की कोशिश का आरोप लगाया था। एक समाचार पत्र को दी जानकारी में अनुराग अग्रवाल का कहना था कि रविशंकर अग्रवाल, दीपेंद्र शंकर अग्रवाल, हिमांशु अग्रवाल आदि के खिलाफ विभिन्न थानों में गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। विवेचनाएं जारी हैं और वाद न्यायालय में विचाराधीन है। चार्जशीट भी दायर हो चुकी है और वारंट भी जारी हो चुके हैं। रविशंकर के खिलाफ आगरा के कई व्यक्तियों द्वारा 138 एनआई एक्ट के मुकदमे दायर कराए गए हैं। रविशंकर सहित उसके परिजन उषा अग्रवाल, दीपेंद्र शंकर अग्रवाल, हिमांशु अग्रवाल के खिलाफ बैंकों द्वारा ऋण वसूली की कार्रवाई की गई है।
उन्होंने कहा कि अपने खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई से बचने के लिए दीपेंद्र शंकर अग्रवाल अपने बच्चों को लेकर दुबई में बस गए हैं। उसके द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से पासपोर्ट शर्तों, सरकारी गजट प्रावधानों की अवहेलना करते हुए लगातार विदेश यात्राएं की गई हैं। उसके खिलाफ पासपोर्ट कार्यालय द्वारा अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के निर्देश जारी हो चुके हैं। रविशंकर और उषा अग्रवाल द्वारा भी नियमों का खिलवाड़ कर विदेश यात्राएं जाती हैं। रविशंकर द्वारा अपने खिलाफ आपराधिक मामलों को छुपाते हुए नवीनीकरण हेतु पासपोर्ट कार्यालय में आवदेन भी किया है। उन्होंने बताया कि अपर पुलिस आयुक्त ने सहायक पुलिस आयुक्त हरीपर्वत की रिपोर्टों का संज्ञान लेकर इनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर और अन्य आदेश जारी किए थे। इनके पासपोर्ट जब्त करने के भी आदेश पारित किए थे। जिसके बाद लखनऊ एयरपोर्ट पर दीपेंद्र शंकर अग्रवाल को एयरपोर्ट पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लखनऊ पुलिस के सुपुर्द किया था।
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