Public Concern: नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष ने उठाई आवाज - आगरा में टी प्वाइंट और अनावश्यक बेरीकेडिंग साबित हो रहे जानलेवा, पुलिस कमिश्नर ध्यान दें

आगरा, 28 नवंबर। नेशनल चैम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज एण्ड कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप वार्ष्णेय ने "न्यूज नजरिया" को भेजे पत्र में एमजी रोड पर सोमवार की तड़के सड़क दुर्घटना में दो जवान दोस्तों की मौत पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए यातायात व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि अनावश्यक बेरीकेडिंग और शहर के टी प्वाइंट जानलेवा साबित हो रहे हैं। उन्होंने पुलिस कमिश्नर को यातायात व्यवस्था में सुधार के कुछ सुझाव भी दिए हैं।
वार्ष्णेय ने लिखा कि इमरजेन्सी के सामने दो जवान लड़कों की मृत्यु बड़ी ही हृदयविदारक थी। ट्रैफिक की व्यवस्था इस इलाके में काफी खराब है और इसका मुख्य कारण है कि राजामण्डी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस ने बेरीकेडिंग कर दी है, जिससे व्यवस्था और बदतर हो गयी है। वार्ष्णेय का कहना है कि डी.सी. ट्रैफिक के पास वह स्वयं 2-3 बार मिले और उनसे निवेदन किया था कि इस बेरीकेडिंग को हटा दिया जाये क्योंकि ये ट्रैफिक के लिए बहुत बड़ी समस्या है। ट्रैफिक सुगम रूप से नहीं चल पाता है। इमरजेन्सी का जो कट है वह एक टी प्वाइंट है। यहां आगरा कॉलेज की ओर से आने वाला ट्रैफिक पूरी स्पीड से आता है और इमरजेन्सी के सामने से आने वाला ट्रैफिक से दुर्घटना होने की पूरी सम्भावना रहती है। इमरजेन्सी पर 15-20 एम्बुलेन्स अव्यवस्थित रूप से खड़ी रहती हैं। वे जब चाहें तब चल पड़ती हैं, इससे सेंट जोंस कॉलेज की ओर से आने वाले ट्रैफिक को इस टी प्वाइंट से यू टर्न करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है और गाड़ियों का भिड़ना स्वभाविक हो जाता है। 
करीब 25 वर्ष पहले नेशनल चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष स्व. जगदीश मेहरा के सुपुत्र की रावली वाले टी प्वाइंट पर ही मोटरसाइकिल से दुर्घटना हुई थी और इस दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी शादी को मुश्किल से एक माह हुआ था और वह आई.आई.टी. खरगपुर से आर्कीटेक्वर का कोर्स करके आगरा अपने पैतृक शहर में सैटिल हुए थे। 
पत्र में कहा गया है कि राजामण्डी चौराहा एक बहुत ही व्यस्त चौराहा है जिसके दोनों ओर बाजार है। एक ओर यह बाजार लोहामण्डी तक जाता है। दूसरी ओर यह बाजार नूरी दरवाजा, हॉस्पीटल रोड, किनारी बाजार, जौहरी बाजार होता हुआ आगरा किला तक जाता है। जब इस चौराहे पर ट्रैफिक लाइट्स लगी हुई हैं तो चौराहे पर बेरीकेडिंग करने का कोई तात्पर्य नहीं है। कम से कम चौराहे पर वाहन अपनी स्पीड कम कर लेते हैं एवं व्यवथित रूप से चलते हैं। मैंने खुद पाया है कि बच्चे, स्त्रियां, जवान लड़के एवं बुजुर्ग बैरीकेडिंग से कूद कर दूसरी ओर चले जाते हैं और राजामण्डी चौराहे से लोग गलत दिशा में चलते हैं।
सबसे बड़ी दिक्कत आगरा में ट्रैफिक लाइट्स की है। ट्रैफिक लाइट पर लाल बत्ती का समय दो से 2.30 मिनट तक है जो बहुत ज्यादा है। ढाई मिनट ट्रैफिक रोकने का मतलब है कि कम से कम 200 गाड़ियों की लाइन लग जायेगी। जब हर चौराहे पर कैमरे लगे हुए हैं तो स्टॉप लाइट एक मिनट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे ट्रैफिक चलता रहेगा। अगर लाइट ज्यादा समय तक रहेगी तो अव्यवस्था बढ़ेगी क्योंकि हर आदमी को अपने गंतव्य पर पहुंचने की जल्दी है।
वार्ष्णेय ने पुलिस कमिश्नर से आग्रह किया है कि राजामण्डी चौराहे से बेरीकेडिंग हटाकर इमरजेन्सी के टी-पॉइन्ट पर लगा देनी चाहिए और इसी प्रकार से रावली वाले टी प्वाइंट पर बेरीकेडिंग लगा देनी चाहिए।
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