Police Transgender Cell जुटा रहा किन्नरों का डाटा...., ताकि विवाद होने पर रहे पूरी जानकारी

आगरा, 18 नवंबर। पुलिस कमिश्नरेट द्वारा ट्रांसजेंडरों का डाटा जुटाया जा रहा है। इसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर की मदद के साथ ही उनमें होने वाले विवादों को सुलझाना है। पुलिस अब तक 89 ट्रांसजेंडर का डाटा जुटा चुकी है। पुलिस के ट्रांसजेंडर प्रकोष्ठ द्वारा यह ब्योरा एकत्रित किया जा रहा है। प्रकोष्ठ में प्रभारी निरीक्षक, दो मुख्य आरक्षी, एक महिला आरक्षी की तैनाती के साथ ही दो सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी रखा गया है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं को ट्रांसजेंडर की समस्याओं और उत्पीड़न को सुनकर उनकी काउंसलिंग करना है। दिसंबर से काम कर रही ट्रांसजेंडर प्रकोष्ठ दस महीने से कमिश्नरेट में रहने वाले किन्नरों की जानकारी एकत्रित कर रही है। उनका नाम-पता और ठिकाने के बारे में जानकारी कर रही है। दरअसल, आगरा कमिश्नरेट में किन्नरों के बीच गुटबाजी और संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। विवाद का मुख्य कारण बधाई मांगने को लेकर इलाके का बंटवारा है। हालांकि ट्रांसजेंडर प्रकोष्ठ में 10 महीने के दौरान सिर्फ दो शिकायत आई हैं। 
थानों में ट्रांसजेंडर का कोई रिकार्ड नहीं है। बीट आरक्षी को भी नहीं पता कि वह कहां रहते हैं। किन्नर जल्दी अपना और गुट के लोगों का नाम-पता नहीं बताते हैं। वह कहां रहते हैं, उनका इलाका कहां तक पड़ता है, यह सब जानकारी देने से बचते हैं। वे विरोधी गुट के बारे में भी अधिक जानकारी नहीं देते हैं। इसका एक कारण अविश्वास भी है।
वैसे शहर में सबसे ज्यादा किन्नर सराय ख्वाजा शाहगंज में रहते हैं। प्रकोष्ठ के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार यहां 16 किन्नर हैं, इसके कोतवाली में 10 और नाई की मंडी में छह किन्नर रहते हैं। ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ की मदद से पहला मुकदमा विगत एक अक्टूबर को दर्ज कराया गया। पीड़ित किन्नर ने हिस्ट्रीशीटर गोकश सलीम पड्डे वाला के पुत्रों पर चौथ मांगने का आरोप लगाया था।
अपर पुलिस उपायुक्त एवं नोडल अधिकारी शिवराम ने स्वीकार किया कि ट्रांसजेंडर प्रकोष्ठ द्वारा शहर के किन्नरों का ब्योरा एकत्रित किया जा रहा है, जिससे कि उनकी संख्या का आंकलन करने के साथ ही जरूरत पड़ने पर सहायता उपलब्ध कराई जा सके। 
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