स्कूली बच्चों के दिल में उतरीं खट्टी-मीठी फिल्में

आगरा, 04 नवंबर। यहां चल रहे पांचवें ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन कई फिल्मों ने अपनी छाप छोड़ी। 
असम से आई फिल्म 'मुझे स्कूल नहीं जाना' ने बच्चों की जमकर तालियां बटोरी। फिल्म 'वंश' पुणे से आई थी और फ़िल्म ने बढ़िया संदेश के साथ दर्शकों को रोने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद फ़िल्म थी गोदान हेमा रेगीनाल्ड और अबनीर रेगीनाल्ड की मुम्बई से जिस ने इस कहानी को ज़िंदा कर दिया, साहित्यकारों एवं लेखकों ने फ़िल्म को खूब प्यार दिया। अमेरिका से द लैंड ऑफ अहिंसा, कर्नाटक से ठरिणी, नानेकोदे और इज़राइल से इट्स  रैप फिल्मों ने दर्शकों को तालियां और खड़े होकर सम्मान दिया। विसर्जन फ़िल्म ने बेटी बचाओ का संदेश देकर एक सार्थक छाप छोड़ी।
दर्शकों ने हर फिल्म के बाद फिल्ममेकर्स से सवाल जबाब किये, ये सेशन बहुत हो रोचक था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रो एस. पी. सिंह बघेल ने कहा कि कहानियां कहने का फ़िल्म से अच्छा कोई माध्यम नहीं है, बृज भाषा में बहुत काम होना चाहिए।
आल सेंट स्कूल के चेयरमैन डॉ त्रिलोक सिंह राना, सनफ्लॉवर स्कूल की प्रधानाचार्या शुभि दयाल,  अनिमेष दयाल, रत्नमुनि जैन कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अनिल वसिष्ठ को फेस्टिवल निदेशक  सूरज तिवारी, फेस्टिवल पैट्रन रंजीत सामा ने सम्मानित किया।
इस अवसर पर फ़्रांस से आई मेरिन बोर्गो, बांग्लादेश के सहादत सागर के अलावा शहर के साहित्यकार संस्कृतिककर्मी राजीव सिंघल, अरविंद गुप्ता, मंगल सिंह धाकड़, नितिन गोयल आदि उपस्थित थे।
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