12 साल की उम्र में दूसरी बार मिली डॉक्टरेट की उपाधि, आगरा के देवांश को नाइजीरिया की अल्सा यूनिवर्सिटी ने भी दी उपाधि
आगरा, 24 अक्टूबर। जिले के गांव बरारा निवासी किसान के 12 साल के बेटे देवांश धनगर को इतनी कम उम्र में दूसरी बार डाक्टरेट की मानद उपाधि मिली है। नाइजीरिया की अल्सा यूनिवर्सिटी ने यह उपाधि दी है। इससे पहले उन्हें अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी थी।
नाइजीरिया से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिलने से बच्चे के परिजनों में खुशी छाई है। वहीं आस-पड़ोस समेत रिश्तेदार भी घर पहुंचकर उसे बधाइयां दे रहे हैं। परिजनों के अनुसार देवांश ने 12 साल की उम्र में 12वीं की परीक्षा पास कर ली। जिस उम्र में सामान्य बच्चे सातवीं में पढ़ते हैं, उसमें देवांश ने 99.91 परसेंटाइल पाकर लोगों को हैरान कर दिया।
देवांश धनगर जो कभी स्कूल ही नहीं गया और गरीब बच्चों को निशुल्क कोडिंग की शिक्षा देता है। पूरे देश में अब तक लगभग 700 से अधिक बच्चों को फ्री कोडिंग सिखा चुका है। गांव बरारा में रहने वाले 12 साल के देवांश के माता-पिता किसान हैं। देवांश के पिता लाखन सिंह बताते हैं “विलक्षण प्रतिभा के धनी देवांश धनगर का जन्म साल 2010 में 27 नवंबर को हुआ था। देवांश ने हल्की उम्र में ही घर में रहकर प्राथमिक पढ़ाई पूरी कर ली। इसके बाद साल 2021 में मात्र 11 साल की उम्र में बोदला स्थित सुंदर लाल मेमोरियल हायर सेकेंडरी स्कूल से यूपी बोर्ड के तहत दसवीं की परीक्षा 80 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की। इसके बाद 11वीं में सीबीएसई बोर्ड के आरके इंटर कालेज अलबतिया में प्रवेश लिया और घर पर ही इंजीनियरिंग की तैयारी शुरू कर दी। जनवरी में जेईई (मेंस) की परीक्षा में 89 परसेंटाइल मिले। इसके बाद देवांश ने अप्रैल में दोबारा परीक्षा दी। इसके परिणाम में देवांश को 99.91 परसेंटाइल मिले। 12वीं के परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे देवांश ने जेईई एडवांस की तैयारी शुरू कर दी है।
देवांश के पिता लाखन सिंह की अपनी अलग कहानी है। आरबीएस खंदारी से 1999 में एमसीए करने के बाद नोएडा में नौकरी शुरू की। पहले पिता चल बसे और फिर मां। घर संभालने के लिए वापस गांव लौटे, लेकिन आर्थिक संकट ने घेर लिया। इसके बाद उन्होंने घर में बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया। दूसरों के बच्चों को पढ़ाने के साथ अपने बेटे को भी पढ़ाया। बेटे की सफलता पर लाखन सिंह कहते हैं कि अब उसमें ही अपना भविष्य देखता हूं।
कोडिंग के मास्टर देवांश धनगर ने एक आवासीय अकादमी की स्थापना की जिसका नाम अपने दादा के नाम के साथ श्री गिर्राज देवांश एकेडमी रखा है। उसके नाम कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। भारत का यह पहला विद्यार्थी है। जिसने इतनी कम उम्र में जी मैंस जैसी परीक्षा 99.9% बिना किसी कोचिंग के प्राप्त की। देवांश को कोडिंग में महारत हासिल है। उसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
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