पालनहार ने मांगी बेटी की आजादी
आगरा, 14 अगस्त। एक और जहां पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वहीं दूसरी ओर एक पालनहार मां अपनी बेटी को कैद से आजाद करने की गुहार लगा रही है। बेटी एक वर्ष से कैद में है। वह मां से मिलने के लिए छटपटा रही है। हर समय बाल गृह की दीवारों के बीच रोती रहती है। उसे मां से मिलने भी नहीं दिया जाता है। बाल आयोग के आदेशों के बाद भी उसे आजादी नहीं मिल सकी। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शहीद स्मारक के बाहर पर प्रदर्शन कर अभागी मां ने बेटी को आजाद करने की मांग उठाई।
आठ वर्ष पूर्व एक किन्नर को लावारिस हालत में कुछ घंटे की एक लड़की मिली थी। जिसने टेढ़ी बगिया निवासी यशोदा (परिवर्तित नाम) को पालन-पोषण के लिए दिया। हालांकि यशोदा ने लेने से मना किया लेकिन किन्नर ने कहा कि इसे पालन न सको तो कहीं फेंक देना। इसके बाद यशोदा ने बच्ची को अपने सीने से लगाया और उसकी परवरिश की। सात साल बाद किन्नर की नीयत खराब होने पर वह उठा ले गया। जिसे पुलिस ने फर्रुखाबाद से मुक्त कराया। बाल कल्याण समिति ने भी फिट पर्सन घोषित कर यशोदा को पालन पोषण के लिए दे दिया। बच्ची का पालन पोषण हो रहा था इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कर रही थी। किन्नर के कहने पर बाल कल्याण समिति के आदेश पर एक साल पहले बालिका को बाल गृह में कैद कर लिया गया। तब से यशोदा बेटी के लिए दर दर की ठोकर खा रही है।
बच्ची को उसकी पालनहार मां को देने के संबंध में उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, महिला एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य, विधायक धर्मपाल सिंह के पत्रों को भी बाल कल्याण समिति ने रद्दी में डाल दिया। अभागी मां अब तक 11 बार जिलाधिकारी से मुलाकात कर प्रार्थना पत्र दे चुकी है। बाल कल्याण समिति के आदेश के खिलाफ अपील भी कर चुकी है। जिला प्रोबेशन अधिकारी भी बाल कल्याण समिति को पत्र जारी कर चुके हैं कि आपसी सहमति बनाकर बच्ची को सुपुर्दगी में दे दिया जाए लेकिन बाल कल्याण समिति ने किसी की भी नहीं सुनी।
पालनहार मां को उसकी बच्ची दिलाने में पैरवी कर रहे चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने कहा कि बच्ची का सर्वोत्तम हित परिवार में ही सुरक्षित है। जिलाधिकारी को इस प्रकरण में हस्तक्षेप करते हुए बाल हित को ध्यान में रखते हुए बच्ची को उसकी पालनहार मां के सुपुर्द कर देना चाहिए। बाल गृह में बच्ची की पढ़ाई छूट चुकी है। उस पर मानसिक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत सरकार का कहना है कि बच्चों को बाल गृह से निकालकर फास्टर केयर में पालन पोषण के लिए दिया जाना चाहिए। बाल आयोग ने भी यही कहा है।
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