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बंद लिफ्ट में दहशत भरे बीते चालीस मिनट
आगरा, 03 अगस्त। जिला अस्पताल में गुरुवार को अचानक लिफ्ट खराब होने से तीन लोग फंस गए। चीख-पुकार सुनकर दूसरी मंजिल पर काफी लोग जमा हो गए। करीब चालीस मिनट तक दहशत के साथ लोग लिफ्ट में फंसे रहे। 
लिफ्ट बंद होने के समय उसमें करीब तीन लोग थे। लिफ्ट में फंसे जिला अस्पताल के कर्मचारी ने बताया कि वह तीसरी मंजिल पर जा रहे थे, तभी अचानक से लिफ्ट बंद हो गई। उन्होंने लिफ्ट के अंदर से ही इलेक्ट्रीशियन और अन्य अधिकारियों को फोन किया लेकिन बात नहीं हो पा रही थी। दूसरी तरफ से फोन आने पर जब बात हुई तो उन्होंने लिफ्ट में फंसे होने की जानकारी दी। जानकारी मिलते ही लोग लिफ्ट पर पहुंचे, लेकिन 30 मिनट तक लिफ्ट के दरवाजे नहीं खुल पाए। अगले 10 मिनट बाद इलेक्ट्रीशियन पहुंचा और उसने बमुश्किल लिफ्ट खोलकर उन्हें बाहर निकाला। 
इस मामले में सीएमएस अनीता शर्मा ने बताया कि हाल ही में लिफ्ट का मेंटेनेंस कराया था, लेकिन आज अचानक से लिफ्ट खराब हुई। 27 जुलाई को लिफ्ट का मेंटेनेंस हुआ था। लिफ्ट अचानक से कैसे बंद हुई, क्या हुआ क्या कारण रहे, इसके कारण जानने के लिए उन्होंने इंजीनियर को बोला है। फिलहाल राहत की बात यह रही कि इस दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
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चैंबर ने एसटीपीआई में रोपे सौ पौधे 
आगरा। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) शास्त्रीपुरम में गुरुवार की सुबह नेशनल चैंबर के पदाधिकारियों ने करीब सौ पौधों का रोपण किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डीएफओ वाइल्ड लाइफ आरुषि मिश्रा थीं।
डीएफओ ने कीठम रिसोर्स सेंटर/सूर सरोवर पक्षी बिहार, चम्बल वाइल्ड लाइफ, पटना पक्षी विहार एटा, समाना पक्षी विहार मैनपुरी के सम्बन्ध में जानकारी दी। 
चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वृक्षारोपण प्रकोष्ठ के चेयरमैन गोपाल खंडेलवाल, मनीष अग्रवाल, केसी जैन ने वन्य क्षेत्रों के विकास के सुझाव दिए। डीएफओ वाइल्ड लाइफ ने कहा कि इन व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में एक बैठक शीघ्र चैम्बर के साथ की जायेगी। 
इस अवसर पर अनिल अग्रवाल, मनोज बसंल, योगेश जिन्दल, सीताराम अग्रवाल, सचिन सारस्वत, मयंक मित्तल, रवीन्द्र अग्रवाल, सुशील बंसल, महेश वार्ष्णेय, संजय गोयल तथा एसटीपीआई के उपनिदेशक प्रकाश कुमार भी उपस्थित थे।
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शुकदेव जी के जन्म का वर्णन
आगरा। कमला नगर स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य श्री विष्णु दत्त जी महाराज ने शुकदेव जी के जन्म का वर्णन किया।
आचार्य ने बताया कि शुकदेव जी का जन्म भी एक रहस्यमय तरीके से हुआ था। उन्होंने कहा की जब भगवान शिव पार्वती जी को अमर होने की कथा सुनाने लगे तो पार्वती माता को नींद आ गई। जब शिव अमरत्व की कथा पूरी हुई तो शिव जी ने देखा कि पार्वती माता तो सो रही हैं, निकट ही एक तोता वहां बैठा है, जो हुंकारे भर रहा रहा था। भगवान शिव को क्रोध आ गया और बोले, तूने मेरी बिना आज्ञा के अमर कथा का पान किया है। मैं तुझे जीवित नहीं छोडूंगा। भगवान शिव त्रिशूल लेकर उसके पीछे दौड़े। शुक यानि तोता अपनी जान बचाने के लिए तीनों लोकों में भागता रहा। वह वेदव्यास के आश्रम पहुंचा। वहां पर वेदव्यास की पत्नी बाहर कपड़े सुखा रही थीं। उन्हें जभाई आ गई तो तोता सूक्ष्‌म बनकर उनकी पत्नी के मुख में घुस गया। वह उनके गर्भ में रह गया। भगवान शिव वहां आए और बोले कि मैं इस शुक को जीवित नहीं छोडूंगा। व्यास जी के पूछने पर सारी बात शिव ने बताई। व्यास जी बोले वह अब अमर हो चुका है, आप उसे कैसे मार सकते हैं। आप दयावान हैं। आप उसे क्षमा कीजिए। व्यास जी के अनुरोध पर भगवान शिव का गुस्सा शांत हुआ। 
व्यास जी की पत्नी के गर्भ में शुकदेव जी को 12 वर्ष हो गए, लेकिन बाहर नहीं निकले। क्योंकि उन्हें डर था अगर मैं संसार में आया तो भगवान की माया के चपेट में आ जाऊंगा। 
भागवत कथा में रामकुमार अग्रवाल, विनय बंसल, राजकुमार अग्रवाल, शिप्रा बंसल, छीतरमल अग्रवाल, सुशील अग्रवाल, नरेंद्र शाह, ओंकार नाथ गोयल उपस्थित रहे।
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