नेशनल चैंबर में विवाद को शांत करने के प्रयास
- चैंबर अध्यक्ष के विवाद से पल्ला झाड़ने के बाद कोर कमेटी अध्यक्ष भी शांत
- पूरे घटनाक्रम में अभी भी अनुत्तरित हैं कई सवाल
आगरा, 15 अगस्त। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड को लेकर उपजे विवाद को शांत करने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। नाराज पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी को निकट भविष्य में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने का वायदा कर दिया गया है। उनसे कहा गया कि एक-दो दिन में उन्हें इस बारे में पत्र जारी कर दिया जायेगा।
एक दिन पूर्व किसी तरह के विवाद से चैंबर अध्यक्ष राजेश गोयल के पल्ला झाड़ लेने के बाद चैंबर कोर कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप वार्ष्णेय ने भी अपने कदम थाम लिए। व्हाट्स ऐप ग्रुप में चर्चाओं को लेकर उन्होंने खेद व्यक्त कर दिया। राजीव तिवारी इस बदले रुख से सन्तुष्ट नजर आए। आज सुबह चैंबर भवन पर हुए ध्वजारोहण समारोह में सभी ने एक-दूसरे के प्रति पूरी गर्मजोशी दिखाई।
सूत्रों का दावा है कि चैंबर अध्यक्ष ने भी विवाद को शांत करने के उद्देश्य से पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी से इसी साल निकट भविष्य में संभवतः दीपावली पर होने वाले आयोजन में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने का वायदा कर दिया। इस बारे में पूछे जाने पर राजीव तिवारी ने ऐसा वायदा किया जाना स्वीकार किया। तिवारी ने फिर कहा कि उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड की खास लालसा नहीं थी, लेकिन पहले अवॉर्ड देने की लिखित जानकारी दिए जाने और फिर दो दिन बाद समारोह से कुछ घंटे पहले उन्हें यह कह कर अवार्ड देने से लिखित इंकार करना कि वे व्यापार को जारी रख रहे हैं इसलिए अवार्ड नहीं दिया जा रहा है, आपत्तिजनक था। जबकि पहले पत्र में यह स्पष्ट लिखा था कि यह अवार्ड उनकी सेवाओं को देखते हुए दिया जाना तय किया गया है।
कैसे बदला घटनाक्रम
दरअसल नाराज राजीव तिवारी ने पूरे घटनाचक्र को अपना अपमान माना और अवमानना का मुकदमा दायर करने की धमकी दे दी। इसके लिए उन्होंने विधि विशेषज्ञों से बात करनी शुरू कर दी। पूरा मामला सामने आने के बाद अध्यक्ष राजेश गोयल ने कह दिया कि चैंबर ने मानदंडों के अंतर्गत निर्णय लिया। उनका कहना था कि दो-तीन पूर्व अध्यक्षों के बीच विवाद हो सकता है, लेकिन उससे चैंबर अध्यक्ष का लेना-देना नहीं है।
चैंबर अध्यक्ष के इस बयान के बाद कोर कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप वार्ष्णेय ने भी व्हाट्स ऐप ग्रुप में राजीव तिवारी से खेद व्यक्त कर दिया। वार्ष्णेय का कहना था, "मुझसे इस मामले की मौखिक शिकायत की गई थी तो मैंने अपनी राय रख दी कि जहां संविधान स्पष्ट नहीं है, वहां परंपरा का पालन होना चाहिए और परंपरा में अभी तक किसी को बिना बारी के सम्मान नहीं दिया गया है। व्हाट्स ऐप ग्रुप में चैंबर अध्यक्ष ने भी स्पष्ट स्थिति की जानकारी चाही थी। बदली हुई परिस्थितियों में जब चैंबर अध्यक्ष ही कह रहे हैं कि इस विवाद से उनका लेना-देना नहीं है, तो वे (वार्ष्णेय) क्यों झमेले में पड़ें।"
चैम्बर के वायदे पर रोकी कानूनी कार्यवाही
पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी ने भी माना कि व्हाट्स ऐप ग्रुप पर प्रदीप वार्ष्णेय ने जो लिखा वह एक अलग मुद्दा है, असल मुद्दा तो चैंबर द्वारा पहले सम्मान के लिए पत्र जारी करना और फिर सम्मान देने से इंकार का पत्र जारी करना है। अब चैंबर ने गलती को मानते हुए निकट भविष्य में उन्हें सम्मान देने और एक-दो दिन में पुनः पत्र जारी करने का वायदा किया है। चैंबर के इस वायदे पर भरोसा करते हुए वे कानूनी कार्यवाही अभी रोक रहे हैं।
दूसरी ओर जानकारों का मानना है कि यह मुद्दा गरमाने के बाद अब राजीव तिवारी को सम्मान दिए जाने का निर्णय कार्यकारिणी में पारित कराना होगा। इसलिए राजीव तिवारी को पुनः पत्र जारी करने में समय लग सकता है।
अभी अनुत्तरित हैं कुछ सवाल!
पूरे मामले में कुछेक सवाल अभी अनुत्तरित हैं कि क्यों सम्मान समारोह से मात्र दो दिन पहले ही राजीव तिवारी का इस्तीफा आया और क्यों दो-चार घंटे के भीतर ही चैंबर ने उनका इस्तीफा नामंजूर करते हुए उन्हें अवार्ड देने का मेल कर दिया।
जानकारों का दावा है कि चैंबर के संविधान के नियम नौ व दस में लिखा है कि किसी सदस्य का इस्तीफा आने पर उसे पहले सदस्यता व प्रशासनिक समिति के समक्ष रखा जायेगा। समिति के निर्णय को कार्यकारिणी में पारित कराया जायेगा उसके बाद ही उस इस्तीफे की मंजूरी या नामंजूरी को प्रभावी माना जाएगा। ऐसे में बिना समिति और कार्यकारिणी के समक्ष रखे ही इस्तीफा नामंजूर कर देना भी सवालों के घेरे में है। कुछ लोग यह भी पता करने में जुटे हैं कि राजीव तिवारी ने क्या अपनी फर्म बंद कर दी है और यदि बंद कर दी है तो अभी या कुछ समय पहले की गई। उनका जीएसटी नंबर कब तक सक्रिय था।
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