किन्नर को नाले किनारे मिली नवजात तो फेंकने को दे दी, लेकिन महिला ने पाल-पोस कर बड़ा किया तो नीयत हो गई खराब
आगरा, 22 जून। आठ साल पहले किन्नर द्वारा फेंकने को दी गई नवजात को मां ने पाला और जब बेटी आठ साल की हो गई तो किन्नर की नीयत खराब हो गई। पहले किन्नर बच्ची का अपहरण कर भाग गया और पकड़े जाने के बाद सीडब्ल्यूसी में फर्जी शिकायत कर बच्ची को बालगृह भिजवा दिया।
बच्ची को पालने वाली महिला उसे वापस पाने के लिए आठ माह से अधिकारियों के चक्कर काट रही है। पीड़िता ने पिछले दिनों एसडीएम से मुलाकात कर मदद की अपील की।
टेढ़ी बगिया निवासी मीना पत्नी अरमान ने बताया कि 28 नवंबर, 2014 को किन्नर अंजली उर्फ अर्जुन को रामबाग क्षेत्र में नाली के किनारे कुछ घंटे पहले पैदा हुई नवजात मिली थी। किन्नर ने उन्हें बच्ची पालने के लिए दी, उनके खुद के बच्चे बड़े हो रहे थे उन्होंने मना किया तो किन्नर ने बच्ची को फेंक देने की बात कही और चला गया। इसके बाद मीना की बेटी ने भी जोर दिया तो उन्होंने बच्ची को रख लिया। बच्ची का नाम परिवार ने प्यार से कायनात रखा। दस दिन बाद बच्ची बीमार हुई तो उन्होंने 35 हजार खर्च कर उसका इलाज करवाया और बच्ची को बचाया। इसके बाद बड़ी होने पर उसका अंग्रेजी मीडियम स्कूल में दाखिला करवाया और पूरा प्यार देते हुए पाल रही थी।
पीड़िता मीना ने बताया कि साल 2021 में किन्नर उनसे मिला और बच्ची को दुआ देते हुए नेग मांगा, जब उसे बताया कि यह वही बच्ची है जो उसने फेंकने को दी थी, तो उसकी नीयत में खोट आ गया। किन्नर ने बच्ची को वापस मांगा तो उन्होंने मना कर दिया।
कुछेक दिन बाद किन्नर ने कार से आकर बच्ची को टाफी दिलाने के बहाने उसका अपहरण कर लिया। चाइल्ड लाइन की टीम की मदद से बच्ची को फर्रुखाबाद के कायमगंज थाना क्षेत्र के एक घर से बरामद किया गया। बरामदगी के समय बच्ची का मेकअप किया हुआ था और उसके हाथों में मेंहदी लगी हुई थी।
पीड़िता ने बताया कि बच्ची मिलने के बाद चाइल्ड लाइन ने उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया। वहां से बच्ची की लिखा-पढ़ी के बाद उसका पालन-पोषण करने के लिए बच्ची उनके सपुर्द कर दिया गया। पीड़िता का आरोप है सीडब्ल्यूएस की एक महिला से साठ-गांठ कर किशोर न्यायालय को महिला की आर्थिक स्थिति खराब होने और बच्ची का पालन न कर पाने की शिकायत की गई और बच्ची को बालगृह भेज दिया गया।
पीड़िता ने बताया कि उसने आय प्रमाण पत्र से लेकर सभी जरूरी कागज बनवा लिए हैं। पहले भी वे बच्ची का अच्छा ख्याल रखते थे। आठ माह से बेटी उनकी याद में रो रही है और वह अधिकारियों के चक्कर लगा रही हैं। गुरुवार को समाजसेवी और चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस के साथ पीड़िता ने एसडीएम तृतीय से मुलाकात कर गुहार लगाई। वहां से उन्हें जांच का आश्वासन मिला।
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