वसीयत: एक अहम दस्तावेज!

शकुन बंसल आगरा के दस्तावेज लेखकों में उभरता हुआ नाम है। यह कार्य वह अपने परिवार की विरासत के रूप में संभाल रहे हैं। उनके पिता स्वर्गीय दिनेश बंसल कातिब आगरा के वरिष्ठ दस्तावेज लेखक थे और कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। कोरोनाकाल में वे दिवंगत हो गए। शकुन यूं तो पिता के सामने ही दस्तावेज लेखन से जुड़ चुके थे, लेकिन पिता के जाने के बाद उन्होंने इस जिम्मेदारी को और अधिक गम्भीरता से निभाना शुरू कर दिया है। निरंतर अध्ययन से जुड़े रहकर वे स्वयं को मजबूत करने में लगे हैं। 
"न्यूज नजरिया" में हम यहां वसीयत को लेकर उनके विचार और नजरिए को प्रस्तुत कर रहे हैं। इस लेख के माध्यम से शकुन ने वसीयत को लेकर लोगों के बीच विद्यमान भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की है। पढ़िए समाज को जाग्रत करता उनका यह लेख -----
डिस्क्लेमर:- लेख में दिए गए सुझावों पर अमल करने से पूर्व एक बार कानूनी सलाह अवश्य ले लें।
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