जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव नहीं रहे

नई दिल्ली 12 जनवरी। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव का गुरुवार को निधन हो गया। गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हुआ। उनकी बेटी ने इस खबर की पुष्टि की। 75 साल की उम्र में शरद यादव ने अंतिम सांस ली। बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले शरद यादव का जाना सभी को दुःखी कर गया। उनकी समाजवाद वाली राजनीति ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया था। अब उस महान नेता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 
शरद यादव की बेटी सुभाषिनी ने ट्विटर पर अपने पिता के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा है कि पापा नहीं रहे। इस महान नेता ने अपने कई दशक की राजनीति में काफी कुछ देखा है. बिहार में लालू राज के चश्मदीद रहे थे, जेडीयू को जमीन पर मजबूत किया था और कई अहम राजनीतिक घटनाओं में एक सक्रिय भूमिका निभाने वाले रहे. शरद यादव की निजी जिंदगी की बात करें तो उनका जन्म 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक गांव में हुआ था।
शरद यादव पढ़ाई के समय से ही राजनीति में दिलचस्पी रही और 1971 में  उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर सक्रिय युवा नेता के तौर पर शरद यादव ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और मीसा के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में हिरासत में लिए गए। सक्रिय राजनीति में शरद यादव ने साल 1974 में कदम रखा था। वे पहली बार मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। वे जेपी आंदोलन का समय था और वह हल्दर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे।
बता दें कि शरद यादव मधेपुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार प्रतिनिधित्व किया था। दो बार मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसद चुने गए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के बदायूं से भी संसद चुने गए थे। शरद यादव संभवतः भारत के पहले ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने तीन राज्यों से लोकसभा के सदस्य के तौर पर चुने थे। शरद यादव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के (एनडीए) के संयोजक थे। हालांकि 2013 में उनकी पार्टी द्वारा एनडीए से अलग होने के बाद उन्होंने संयोजक पद से त्यागपत्र दे दिया था।
------------

ख़बर शेयर करें :

Post a Comment

0 Comments