वाहन चलाते वक्त झपकी आना नशे से अधिक खतरनाक!
आगरा। जिंदगी कीमती है, इसे दुर्घटना से बचाना जरूरी है। आगरा में आयोजित न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के 70वें अधिवेशन में अंतिम दिन यही संदेश मस्तिष्क रोग विशेषज्ञों ने दिया। कहा कि नशे पर तो अब बहुत बात हो चुकी है लेकिन नींद पर कम ही बात हुई है जबकि वाहन चलाते वक्त नींद की झपकी आना नशे में गाड़ी चलाने से भी अधिक खतरनाक है।
न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटीऑफ इंडिया (एनएसआई) का जेपी होटल में आयोजित अधिवेशन रविवार को संपन्न हुआ। अधिवेशन के अंतिम दिन सोसाइटी ने सरकार से सिफारिश की कि ड्राॅवजी ड्राइविंग यानि उनींदेपन में गाड़ी चलाने के खिलाफ देश भर में एक कैंपेन शुरू किया जाए। सोसाइटी इसके लिए कदम बढ़ाने को तैयार है। डाॅ. वरिंदर पाल सिंह ने कहा कि 100 मीटर की रफ्तार पर चलने वाला व्यक्ति तीन से पांच सैकेंड में ही 100 मीटर तक आगे जा सकता है। नशा दुर्घटना कराता है क्योंकि नशे में गाड़ी चलाने वाला व्यक्ति प्रतिक्रिया देने में समय लगाता है। वहीं गाड़ी चलाते वक्त अगर नींद आ जाए तो यह और भी खतरनाक है क्योंकि ऐसा ड्राइवर प्रतिक्रिया दे ही नहीं पाएगा।
डाॅ. आरसी मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2007 के बाद आगरा में यह न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया को दूसरा सबसे बड़ा अधिवेशन है। डाॅ. अरविंद कुमार अग्रवाल ने बताया कि सभी कहीं न कहीं एक स्वस्थ बच्चे की कामना करते हैं और उसके लिए किसी तरह के जतन में कमी नहीं रखते हैं लेकिन कहीं न कहीं गर्भावस्था के दौरान हुई लापरवाही के कारण शिशु जन्म दोष स्पाइना बाइफिडा का शिकार हो सकता है। इस बीमारी के कारण बच्चा चलने-फिरने में लापरवाह हो सकता है, मृत्यु भी हो जाती है। फाॅलिक एसिड की कमी को पूरा कर इस बीमारी को होने से रोका जा सकता है।
अधिवेशन के अंतिम दिन 82 से अधिक तकनीकी सत्र, शोधपत्र और कार्यशालाएं हुईं। अगला अधिवेशन वर्ष 2023 में भुवनेश्वर में होगा। इसी के साथ एक-दूसरे को अलविदा कहकर सभी चिकित्सकों ने आगरा से विदा ली।
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