चार प्रोफेसर और पूर्व कुलसचिव बने सरकारी गवाह
आगरा, 22 दिसम्बर। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे प्रोफेसर विनय पाठक की मुसीबत और बढ़ने वाली है। उनके खिलाफ विश्वविद्यालय के तीन वरिष्ठ प्रोफेसर और पूर्व कुलसचिव सरकारी गवाह बन गए हैं। उन्होंने प्रो. पाठक के खिलाफ कोर्ट में बयान दर्ज कराये हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में किस कदर नियमों को दरकिनार करते हुए मनमाने निर्णय लिए, किन योजनाओं और कामकाज में आर्थिक घोटाला किया, किस कदर अधीनस्थों पर दबाव बनाते थे, गवाहों ने इसके बारे में बताया है। इसके अतिरिक्त अभी स्कूल संचालक, कर्मचारी और अन्य प्रोफेसर भी बयान दर्ज करवाएंगे।
एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि उनकी सूची में अभी आठ से अधिक और लोग हैं, जो गवाही देंगे। इसमें कॉलेज संचालक, विश्वविद्यालय के अधिकारी-कर्मचारी, एजेंसी के कर्मचारी समेत अन्य कंपनियों से जुड़े लोग हैं।
एसटीएफ प्रो. पाठक के (जनवरी से सितंबर) कार्यकाल में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की जांच कर रही है। टीम ने पचास दिन में अहम दस्तावेज और साक्ष्य जुटाए हैं। विश्वविद्यालय में परीक्षा संबंधी कार्य करने वाली टेक्स टेक्नोलॉजी लिमिटेड के मालिक टेविड मारियो डेनिस ने 30 अक्तूबर को प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक पर कमीशनखोरी पर आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि एजेंसी के भुगतान के लिए उसने 1.41 करोड़ रुपये प्रो. पाठक के कहने पर सहयोगी अजय मिश्रा को दिए हैं और अभी 10 लाख और मांग रहे हैं।
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