16 से शुरू होगा खर मास, लगेगी मांगलिक कार्यों पर रोक

आगरा, 14 दिसम्बर। खरमास शुक्रवार 16 दिसम्बर से शुरू हो रहा है। इसके शुरू होने के साथ ही सभी हिंदू धर्मावलंबियों के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। अगले साल यानि 14 जनवरी, 2023 को सूर्य रात 8.57 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उसके बाद मांगलिक कार्यों पर लगी रोक भी हट जाएगी।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य देव बृहस्पति राशि में प्रवेश करते हैं, तब कोई भी मांगलिक कार्य करना निषेध माना जाता है। खरमास वर्ष में दो बार लगता है, पहला खरमास तब लगता है जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा खरमास तब लगता है, जब सूर्य मीन राशि में परिवर्तन करते हैं। धनु और मीन दोनों ही राशियां देवगुरु बृहस्पति की राशियां हैं।
खरमास के समय कुछ कार्य पूर्ण रूप से वर्जित बताए गए हैं। इनमें कोई मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। गृह निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं करानी चाहिए और नए व्यवसाय की शुरुआत करने से भी बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसकी ऊर्जा कम हो जाती है। इसे सूर्य का मलिन होना भी कहते हैं। सूर्य जब तक मलिन अवस्था में रहते हैं, तो वह धनु राशि में विद्यमान रहते हैं इसलिए तब तक शुभ संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता।
खरमास का वैज्ञानिक आधार भी है। यह वर्ष में दो बार आता है और दोनों ही बार मौसम में बदलाव हो रहा होता है। धनु खर मास दिसंबर-जनवरी में, जबकि मीन खरमास मार्च-अप्रैल तक चलता है। उत्तर भारत के इन माह में मौसम में तेजी से बदलाव होते हैं, इसलिए भारतीय मनीषियों ने ऐसी व्यवस्था बनाई कि लोग लोग बदलते मौसम से अधिक प्रभावित न हों
सूर्य जब तक धनु राशि में रहता है, तब तक ठंड प्रभावी रहती है। इन दिनों में तिल-गुड़ का सेवन और दान विशेष महत्व रखता है, ताकि स्वयं के साथ जरूरतमंदों को भी तिल-गुड़ से शरीर को ठंड से लड़ने की शक्ति मिलती रहे। इस माह में रोज सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव की पूजा से अभिप्राय शरीर की कार्यक्षमता को बढ़ाना और प्रत्यक्ष रूप से शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा करने से है। मांगलिक कार्य न करने से अभिप्राय है कि इस माह में सीधे रूप से खुले मौसम के संपर्क में आने से बचना चाहिए। साथ ही सुबह जल्दी और देर रात्रि का समय मंदिर और घर के धार्मिक कर्मों में देना चाहिए।

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