प्रदेशभर में चर्चित रहे पनवारीकांड में विधायक चौधरी बाबूलाल व अन्य बरी

32 साल बाद आया अदालत का फैसला
गवाहों के अभाव में सभी हुए दोषमुक्त
जाट-जाटव संघर्ष के तेवर दिखे थे कांड में
बारात की चढ़त रोकने पर भड़की थी हिंसा
आगरा, 04 अगस्त। शहर के थाना सिकंदरा क्षेत्र के बहुचर्चित पनवारी कांड में 32 वर्ष बाद अदालत का फैसला आ गया है और गवाहों के अभाव में विधायक चौधरी बाबूलाल व अन्य अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया गया है।
जाट और जाटवों के बीच 32 साल पहले हुए जातीय संघर्ष वाले पनवारी कांड ने पूरे प्रदेश में सुर्खियां बटोरीं थीं। इस हिंसा से पूरे जिले ही नहीं, आसपास के जनपदों में भी तनाव फैल गया था। पनवारी गांव में 22 जून, 1990 को अनुसूचित जाति के चोखे लाल की बेटी की बारात आई थी। बरात की चढ़त को लेकर गांव के जाट समाज के लोगों ने विरोध किया। इसको लेकर पथराव, फायरिंग और आगजनी हुई थी। इसके बाद कर्फ्यू भी लगाया गया था। इस मामले में भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल समेत अन्य आरोपी थे। चौधरी बाबूलाल उस समय प्रधान कहलाते थे और गांव की राजनीति तक ही सीमित रहते थे। विवाद में नाम आने के बाद से वे प्रधानी से ऊंचे स्तर की राजनीति में आ गए। इन 32 वर्षों में सांसद, विधायक व मंत्री आदि पदों पर भी पहुंचे। शुरुआती दिनों में लोकदल का झंडा उठाने वाले बाबूलाल पिछले कई साल से भाजपा में हैं और वर्तमान में भी फतेहपुरसीकरी सीट से विधायक हैं।
वर्तमान में विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट नीरज गौतम मामले की सुनवाई कर रहे थे। आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य के अभाव में अदालत ने सभी को दोषमुक्त कर दिया। इससे पूर्व 12 अप्रैल, 2006 को तत्कालीन स्पेशल जज जनार्दन गोयल ने मुख्य अभियुक्त चौधरी बाबूलाल, बच्चू सिंह, रामवीर, बहादुर सिंह, रूप सिंह, देवी सिंह, बाबू सिंह, विक्रम सिंह, रघुनाथ सिंह, रामऔतार, शिवराम, भरत सिंह, श्यामवीर और सत्यवीर के खिलाफ आरोप तय किए थे। विचारण के दौरान दो अभियुक्तों की मृत्यु हो गई।

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