2050 तक हिंदी होगी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा

- ‘वन्दे हिंदी समागम’ में जुटे हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के दिग्गज 
-  पूर्व भारतीय वायु सेना अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया ने भी की शिरकत 
आगरा। सौ करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते और समझते हैं, इसलिए हिंदी राष्ट्र ही नहीं अब अंतरराष्ट्रीय भाषा है। वर्ष 2050 तक हिंदी विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा होगी। कुछ ऐसे ही विचार भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती के अवसर पर आयोजित ‘वन्दे हिंदी समागम’ के दौरान वक्ताओं ने रखे।
समागम में तीन सत्र पैनल डिस्कशन हुए। टीवी पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि आजादी को बचाए रखने का माध्यम हिंदी है। सौ करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया ने कहा कि हिंदी न्यूज चैनलों का रेवेन्यू इंग्लिश चैनल से ज्यादा है। फुटवियर निर्यातक पूरन डावर ने हिंदी को दुनिया की सबसे बेहतर भाषा बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से अभिव्यक्ति को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त किया जा सकता है। 
टीवी पत्रकार दिनेश कांडपाल ने भी अपने अनुभव साझा किए। पत्रकार अभिषेक मेहरोत्रा ने कहाकि हिंदी कमाई का मौका दे रही है, यदि कोई समस्या है तो वो शिक्षा को स्तर पर है। 
यतींद्र शर्मा ने कहा कि पहचान अब हिंदीयत की है, इंग्लिशियत की नहीं। पत्रकार अनुरंजन झा ने कहा कि हिन्दी की भाषा ऐसी हो, जो सहज हो सके। पत्रकार शैलेश रंजन ने कहा कि हिंदी दिवस की जरूरत नहीं, इसके प्रचार-प्रसार की जरूरत सभी 365 दिन है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लवकुश मिश्रा, प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. सुशील गुप्ता, कवि पवन आगरी ने भी विचार रखे। इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. तरुण शर्मा ने किया।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ कवि एवं गीतकार प्रो. सोम ठाकुर, भारतीय वायुसेना महिला कल्याण एसोसिएशन पूर्व अध्यक्षा आशा भदौरिया, पूर्व  भारतीय वायु सेना अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया, फाउण्डेशन के चेयरमैन पूरन डावर, ए.के. सिंह, किशोर खन्ना, टीवी पत्रकार राजेश बादल, दीपक चौरसिया एवं विश्वविद्यालय के प्रो. वीसी प्रो. अजय तनेजा ने किया।  



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