राजबब्बर को दो साल की सजा, फैसले के खिलाफ अपील करेंगे
26 साल पुराने मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने 8500 रुपये जुर्माना भी लगाया
अटल बिहारी के खिलाफ चुनाव लड़ने के दौरान दर्ज हुई थी मारपीट की रिपोर्ट
लखनऊ, 07 जुलाई। फिल्म अभिनेता और कांग्रेस नेता राज बब्बर को एक सरकारी अधिकारी से मारपीट करने के 26 साल पुराने मामले में आज यहां की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई। यह घटना वर्ष 1996 में हुई थी।
मामला पोलिंग बूथ में घुसकर मतदान प्रभावित करने और पोलिंग एजेंट से दुर्व्यवहार का है। तत्कालीन सपा प्रत्याशी राज बब्बर के खिलाफ कोर्ट ने दो वर्ष की सजा सुनाते हुए 8500 रुपये का जुर्माना भी लगाया। हालांकि इसके बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी। फैसला सुनाए जाते समय राज बब्बर कोर्ट में मौजूद रहे।
फिलहाल राज बब्बर कांग्रेस के नेता हैं। वह कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे।
वर्ष 1996 में राज बब्बर पर लखनऊ से समाजवादी पार्टी की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। राज बब्बर के सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। चुनाव में वाजपेयी ने राज बब्बर को हरा दिया था।
मतदान अधिकारी श्रीकृष्ण सिंह राणा ने दो मई, 1996 को थाना वजीरगंज में राजबब्बर प्रत्याशी समाजवादी पार्टी और अरविन्द यादव समेत कई लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया कि राज बब्बर समर्थकों के साथ मतदान स्थल में घुस आए और न सिर्फ मतदान प्रक्रिया प्रभावित की, बल्कि सरकारी काम में बाधा पहुंचाई और ड्यूटी पर मौजूद लोगों से दुर्व्यवहार और मारपीट की। इस दौरान श्रीकृष्ण सिंह राणा के अलावा पोलिंग एजेंट शिव सिंह को चोटें आईं।
केस की विवेचना के बाद 23 मार्च, 1996 को राजबब्बर और अरविंद यादव के विरुद्ध धारा 143, 332, 353, 323, 504, 188 आईपीसी एवं लोक प्रतिनिधित्व निवारण अधिनियम के अलावा 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। इसी मामले को लेकर एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज फैसला सुनाया।
80 के दशक में शुरू किया था सियासी सफर
राज बब्बर ने 80 के दशक के आखिर में फिल्मी दुनिया के साथ सियासत का सफर शुरू किया था। वर्ष 1989 में उन्होंने वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल का दामन थामा। इसके बाद वह समाजवादी पार्टी में गए और तीन बार लोकसभा सांसद रहे। वर्ष 2004 में वह लोकसभा सांसद बने। वर्ष 2006 में मुलायम सिंह यादव के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए। समाजवादी पार्टी से उनकी विदाई हुई। वर्ष 2008 में राजबब्बर कांग्रेस में शामिल हुए और वर्ष 2009 में फिरोजाबाद से उन्होंने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को शिकस्त देकर सपा को बड़ा झटका दिया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राज बब्बर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
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